नई दिल्ली, 24 नवंबर: बिहार (Bihar) की नई नीतीश सरकार (Nitish) में एक भी मुस्लिम मंत्री न होने की कमी आगे चलकर दूर हो सकती है. ओवैसी (Owaisi) की पार्टी एआईआईएम (AIIM) से सीमांचल की सीटों पर जीतने वाले पांच में से तीन मुस्लिम विधायक पाला बदल सकते हैं. एआईआईएम ही नहीं बल्कि कांग्रेस (Congress) के असंतुष्ट विधायकों पर भी नीतीश कुमार की पार्टी जदयू की नजर है. वजह कि बिहार चुनाव में भाजपा (BJP) के 74 सीटों के मुकाबले सिर्फ 43 सीटें पाने वाली जदयू (BJP) अपनी संख्या बल को लेकर चिंतित है. वह दूसरे दलों के बागी विधायकों को लेकर संख्या बल के हिसाब से अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है. सूत्रों का कहना है कि एनडीए में शामिल सभी घटक दल संख्या बल को और बढ़ाने की कोशिश में है. ताकि महागठबंधन से एनडीए (NDA) के सीटों का फासला और बढ़ सके. कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी चिंतित.
विधायकों के जदयू में जाने की आशंका से ओवैसी की पार्टी एआईआईएम चिंतित बताई जाती है. पार्टी मुखिया ओवैसी अपने विधायकों पर कड़ी नजर रखे हुए हैं. यही वजह थी कि जीत के बाद ओवैसी ने सभी विधायकों को हैदराबाद बुला लिया था. सभी विधायकों से लगातार संपर्क कर ओवैसी उन्हें पार्टी से जोड़कर ही रखने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं. उधर कांग्रेस भी अपने 19 विधायकों के साथ कई वरिष्ठ नेताओं की बैठकें कराकर उन्हें पार्टी में रहने के लिए प्रेरित कर रही है.
यह भी पढ़े: पटना: BJP अध्यक्ष जे. पी नड्डा ने 2 दिवसीय दौरे के लिए पहुंचे बिहार, CM नितीश कुमार से की लंबी चर्चा
आईएएनएस को भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, ओवैसी के विधायकों को लगता है कि जदयू में जाने पर वो मंत्री बन सकते हैं. क्योंकि बिहार में मुसलमानों की 16 प्रतिशत आबादी के बावजूद इस बार एक भी मुस्लिम मंत्री नहीं बना है. सेक्युलर छवि के नीतीश कुमार ने जदयू से 11 मुसलमानों को चुनाव लड़ाया था मगर सभी हार गए. यहां तक कि नीतीश सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री रहे खुर्शीद (Khurshid) उर्फ फिरोज आलम (Firoz Alam) भी चुनाव हार गए. ऐसे में ओवैसी की पार्टी से आने वाले मुस्लिम विधायक सरकार में मंत्री बन सकते हैं. जदयू के एक नेता के मुताबिक, बिहार में जदयू की मुसलमानों के बीच भी पैठ है. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक मुस्लिम मंत्री की जरूरत हो सकती है. लेकिन एनडीए में एक भी मुस्लिम विधायक के न होने पर बाहर से ही चांस बनता है. मांझी के ऑफर से कांग्रेस में भी हो सकती है टूट
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर जीत सकी है. एनडीए सहयोगी जीतनराम मांझी (Jitanram Maanjhi) ने चुनाव नतीजे आने के बाद कांग्रेस विधायकों को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने का ऑफर दिया था. दरअसल, बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच फासला सिर्फ 15 सीटों का है. एनडीए के पास बहुमत से सिर्फ 3 विधायक ज्यादा 125 की संख्या है, जबकि तेजस्वी यादव (Tejasvi Yadav) के नेतृत्व के महागठबंधन के पास 110 सीटें हैं. इस प्रकार बहुमत के 122 के आंकड़े से महागठबंधन 12 सीट दूर है. ऐसे में एनडीए के नेता संख्या बल को बढ़ाकर भविष्य में भी सरकार को 'सेफ मोड' में रखना चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि चुनाव में जदयू 43 सीटों के साथ तीसरे नंबर पर रही. जबकि भाजपा 74 सीटों के साथ एनडीए में सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी. ऐसे में जदयू को कम सीटों का आंकड़ा असहज करता है. यह आंकड़ा कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी के विधायकों के आने से बढ़ सकता है.
किसी दल के दो तिहाई विधायकों के टूटने पर दलबदल कानून के तहत सदस्यता रद्द नहीं होती. सूत्रों का कहना है कि ऐसे में अगर कांग्रेस और एआईआईएम से असंतुष्ट विधायक आना चाहेंगे तो जदयू दो-तिहाई संख्या होने पर ही आगे कदम उठाएगी. क्या बिहार में दूसरे दलों के विधायक आना चाहेंगे तो बहुमत से सरकार बनाने वाली एनडीए स्वीकार करेगी? इस सवाल पर भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि एनडीए के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं. कांग्रेस के अंदरखाने रार मची हुई है. लेकिन भाजपा किसी विधायक के संपर्क में नहीं है. जदयू के बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता.