स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली नवंबर की तारीख बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन भाषा के आधार पर छः प्रदेशों का पुनर्गठन हुआ था. 1956 से 2000 तक भारत के 6 विभिन्न प्रदेशों का उद्भव हुआ था. ये राज्य हैं, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ हरियाणा, पंजाब, केरल और कर्नाटक. इसीलिए ये छहों राज्य पहली नवंबर के दिन ही अपना स्थापना दिवस मनाते हैं. गौरतलब है कि 1 नवंबर 1956 के दिन ही दिल्ली को भी केंद्र शासित राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था. इस तरह दिल्ली का भी 1 नवंबर की तारीख से गहरा संबंध हैं, हालांकि 1993 में दिल्ली में विधान सभा स्थापित कर एक राज्य बनाया गया. जहां विधान सभा चुनाव होते हैं, और चुने हुए नेता दिल्ली की सरकार चलाते हैं. हालांकि इस पर आधा नियंत्रण दिल्ली सरकार का और आधा केंद्र सरकार का होता है. आइये जानें इन राज्यों के गठन के पीछे की गाथा... यह भी पढ़ें: Chhattisgarh Rajyotsava 2022 Greetings: छत्तीसगढ़ स्थापना दिवस पर ये विशेज HD Images और Wallpapers के जरिए भेजकर दें शुभकामनाएं
कर्नाटक
कर्नाटक प्रारंभ से बहुत शक्तिशाली और समृद्ध रहा है. हड़प्पा की खुदाई में सर्वाधिक स्वर्ण प्राप्त होने से प्रेरित होकर इतिहासकारों ने 3000 ई पूर्व के कर्नाटक का सिंधु घाटी की सभ्यता से संबंध को तलाशने के लिए प्रेरित हुए. बाद में कर्नाटक में काफी बदलाव हुए. आजादी से पूर्व कर्नाटक 20 से ज्यादा प्रांतों, (मद्रास, बॉम्बे प्रेसीडेंसी और हैदराबाद) में विभक्त था. लेकिन 1953 में आंध्र प्रदेश गठित हुआ तो मद्रास (चेन्नई) के कुछ डिस्ट्रिक्ट मैसूर में मिला दिये गये. परिणामस्वरूप खूनी विद्रोह शुरू हो गया. अंततः 1 नवंबर 1956 को भाषाई आधार पर स्टेट ऑफ मैसूर गठित हुआ. सभी कन्नड़ भाषियों को एक प्रांत से जोड़ दिया गया. 1973 में स्टेट ऑफ मैसूर को कर्नाटक नाम दिया गया.
केरल
केरल का इतिहास प्रारंभ से ही अपने व्यापारिक संबंधों, विज्ञान, कला एवं शैक्षिक को लेकर काफी समृद्धशाली रहा है. एकमात्र केरल ही है, जिसकी साक्षरता दर भारत में सर्वाधिक है. स्वतंत्रता संग्राम के समय केरल दो प्रांतों त्रावणकोर और कोच्चि में बंटा हुआ था. साल 1949 में थिरुकोच्चि राज्य के निर्माण के दरम्यान इसका विलय कर दिया गया. इसके बाद राज्य पुनर्गठन एक्ट 1956 के तहत वर्तमान केरल के निर्माण के समय मद्रास के इन सभी क्षेत्रों (मालाबार जिले, थिरु कोच्चि राज्य, कासरगोड तालुका और दक्षिण कनारा) को एकीकृत कर दिया गया. अपनी संस्कृति, परंपरा और विरासत के साथ जीवन जीने वाले केरलवासी प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को केरालाप्पिरवी (केरल की वर्षगांठ) अथवा मलयालम दिवस के रूप में मनाते हैं.
पंजाब और हरियाणा
कृषि एवं सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पंजाब-हरियाणा हमेशा से समृद्धशाली रहा है. इसके साथ-साथ यूनानियों, मध्य एशियाइयों, अफगानियों तथा ईरानियों के लिए भारत का प्रवेश द्वार रहा पंजाब एवं हरियाणा बड़े संगठित राज्यों में एक रहा है. स्वतंत्रता के पश्चात जब राज्यों के पुनर्गठन की बात चल रही थी, तब तक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का कुछ भाग एवं केंद्र शासित चंडीगढ़ इसके हिस्सा थे. लेकिन सन् 1950 से भाषाई (पंजाबी, हिंदी और पहाड़ी) विवादों के कारण पंजाब का पुनर्गठन किया गया और इसी आधार पर 1 नवंबर 1966 को हरियाणा के रूप में एक नया प्रदेश अस्तित्व में आया. लिहाजा पंजाबी भाषियों के लिए पंजाब, हिंदी भाषियों के लिए हरियाणा और पहाड़ी भाषियों के लिए हिमाचल प्रदेश का विभाजन हुआ. चंडीगढ़ को लेकर पंजाब और हरियाणा में विवाद उठा तो चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाकर पंजाब और हरियाणा को संयुक्त रूप से सुपुर्द कर दिया गया.
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़
भारत का ह्रदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की स्थापना के समय भारत सरकार के सामने बड़ी चुनौतियां थीं. क्योंकि आजादी से पूर्व यह 4 प्रांतों (मध्य प्रांत, पुराना मध्य प्रदेश, विंध्य प्रदेश एवं भोपाल) में बंटा हुआ था. लेकिन यहां के रहवासियों की भाषा, संस्कृति, परंपराओं, खान-पान में विभिन्नता होने के कारण 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश का गठन हुआ. लेकिन 1 नवंबर, 2000 में मध्य प्रदेश का एक और विभाजन छत्तीसगढ़ के रूप में किया गया. छत्तीसगढ़ का पूर्व नाम कौशल प्रदेश था, जिसे भगवान श्री राम का ननिहाल माना जाता था. अन्य प्रदेशों की तरह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का विभाजन भाषा के आधार पर नहीं हुआ था. 36 गढ़ों का एक संयुक्त क्षेत्र होने के कारण इसे मध्य प्रदेश से अलग करने की मांग हो रही थी, जिसे नजरअंदाज किया गया. 1 नवंबर 2000 को केंद्र सरकार की पहल पर छत्तीसगढ़ का उदय हुआ.