भोपाल 29 मई : मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में नए प्रयोग करने की तैयारी में है. यह प्रयोग वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं. राज्य में पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है जो गैर दलीय आधार पर हो रहे हैं तो वही नगरीय निकाय चुनाव की तारीख का भी जल्दी एलान हो सकता है जो दलीय आधार पर होंगे. नगर निगम में महापौर का चुनाव जहां सीधे जनता करने वाली है, वही नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों का चुनाव पार्षदों द्वारा किया जाएगा.
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नगरीय निकाय चुनाव में नए चेहरों को ज्यादा तरजीह देने की रणनीति बनाई है. इस पर संगठन से जुड़े लोग मंथन भी कर चुके हैं. आगामी समय में जल्दी ही पार्टी की समितियां गठित हो जाएंगी और वे निचले स्तर पर उन संभावित चेहरों की तलाश करेंगी जो साफ-सुथरे हैं और पार्टी के लिए समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर काम भी कर रहे हैं.
भाजपा वर्षों से मध्य प्रदेश में लगातार नए प्रयोग करती आ रही है, वर्तमान में संगठन के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से लेकर प्रदेश कार्यकारिणी और जिला स्तर के पदाधिकारी पर गौर किया जाए तो अधिकांश नए चेहरे हैं. इसी तरह का प्रयोग नगरीय निकाय चुनाव में होने वाला है. इन चुनावों में पार्टी विभिन्न क्षेत्रों के पढ़े लिखे और सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों को प्राथमिकता देने वाली है. यह भी पढ़ें : Mumbai: पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप, BJP प्रवक्ता नुपुर शर्मा के खिलाफ केस दर्ज
पार्टी सूत्रों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे नए चेहरों को सामने लाने के अलावा राज्य में परिवारवाद पर भी अंकुश लगाना बड़ा मकसद है. पार्टी लगभग यह भी मन बना चुकी है कि एक परिवार से एक व्यक्ति ही उम्मीदवार बनाया जाएगा, वहीं अगर उस परिवार का सदस्य संगठन में पदाधिकारी है तो उसे टिकट नहीं दिया जाएगा. हां उसके पास यह विकल्प चुनने का जरूर अवसर रहेगा कि वह संगठन का पद छोड़ दें और अपने लिए अथवा परिवार के सदस्य के लिए टिकट मांगे.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ हितेष वाजपेई का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के लिए महत्वपूर्ण होते हैं और भाजपा भी इन चुनावों को लेकर गंभीर है. पार्टी हमेशा अपनी नीतियों और योजनाओं के साथ जनता के हित में किए गए कामों को लेकर चुनाव के मैदान में जाती है. इस चुनाव में भी ऐसा ही होगा. जहां तक उम्मीदवारी की बात है, पार्टी की ओर से सक्षम व्यक्ति का उम्मीदवार के तौर पर चयन किया जाएगा.
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अब्बास हाफीज का कहना है, नगरीय निकाय चुनाव को लेकर भाजपा डरी हुई है क्योंकि जनता में भाजपा के निशान को लेकर असंतोष है. भाजपा चेहरे बदल कर चुनाव मैदान में उतरना चाहती है, मगर उसका यह प्रयास नाकाम ही रहेगा. पहले भाजपा नगरीय निकाय चुनाव हारेगी और उसके बाद उसे विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ेगा.
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राज्य में वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का सेमीफाइनल है नगरीय निकाय चुनाव. इन चुनावों में भाजपा एक टेस्ट करने जा रही है और वह है नए चेहरों को मैदान में उतारने का. इस चुनाव में मिली सफलता के बाद पार्टी विधानसभा चुनाव में भी बड़े पैमाने पर नए चेहरों पर दाव लगा सकती है. कुल मिलाकर भाजपा अपने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ जनता में किसी भी तरह का असंतोष नहीं पनपने देना चाहती, अगर कोई असंतोष हो भी तो उसे उम्मीदवार का चेहरा बदलकर खत्म कर देना चाहेगी.