नई दिल्ली: भारतीय रेल (Indian Railways) हाइड्रोजन ईंधन सेल (Hydrogen Fuel Based Technology) से ट्रेनों के संचालन की दिशा में आगे बढ़ रहा है. इसी कड़ी में भारतीय रेल ने उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद रेलखंड पर हाइड्रोजन ईंधन तकनीक के उपयोग के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं. Indian Railways: रेलवे ने यात्रियों की कमी को देखते हुए कोच प्रोडक्शन में लाई कमी
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारतीय रेल ने उत्तर रेलवे के 89 किलोमीटर लंबे सोनीपत-जींद मार्ग पर डीजल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (डीईएमयू) पर रेट्रोफिटिंग करके हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल को बोलियां आमंत्रित की हैं. इसके जरिये भारतीय रेल यह पता लगाने का प्रयास करेगी कि क्या मौजूदा डीजल से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रोजन का इस्तेमाल करने के लिए रेट्रोफिट किया जा सकता है.
बयान में कहा गया, "डीजल से चलने वाले डेमू की रेट्रोफिटिंग और इसे हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले ट्रेन सेट में बदलने से न केवल सालाना 2.3 करोड़ रुपये की बचत होगी, बल्कि प्रतिवर्ष 11.12 किलो टन के कार्बन उत्सर्जन (नाइट्रिक ऑक्साइड) को कम किया जा सकेगा.”
Delhi: Indian Railways to run trains on hydrogen fuel-based technology
We'll do retrofitting on DEMU trains which run on 89 km track b/w Jind & Sonipat. A pre-bid conference for this will be held on Aug 17& we hope that process will finish by October 5: ADG PRO Rajiv Jain(07.08) pic.twitter.com/GfdyVVyTRd
— ANI (@ANI) August 7, 2021
बयान के अनुसार इस पायलट प्रोजेक्ट के सफल क्रियान्वयन के बाद विद्युतीकरण के जरिये डीजल ईंधन से चलने वाले सभी रोलिंग स्टॉक को हाइड्रोजन ईंधन से चलाने की योजना बनायी जा सकती है. निविदा दाखिल करने की समयसीमा 21 सितंबर, 2021 से पांच अक्तूबर, 2021 तय की गयी है.
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार ने देश में हाइड्रोजन से चलने वाले वाहनों में तेजी लाने के लिए चालू वित्त वर्ष के बजट में राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन की घोषणा की थी. हाइड्रोजन हरित ऊर्जा का शुद्धतम रूप है क्योंकि इससे कार्बन डाइआक्सइड का उत्सर्जन बिल्कुल नहीं होता है. फिलहाल बहुत कम देश हाइड्रोजन से बिजली उत्पादन की दिशा में काम कर रहे हैं. इस सिलसिले में जर्मनी और पोलैंड में रेलवे की एक-एक रैक पर काम हो रहा है.