कोरोना संकट में रेलवे का बड़ा फैसला, 6 राज्यों के प्रवासी मजदूरों को मिलेगा रोजगार- 1,800 करोड़ रुपये होंगे खर्च
गरीब रथ (Photo Credits: Twitter/File)

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप के मद्देनजर लाखों प्रवासी मजदूर (Migrant Worker) पलायन करने के लिए मजबूर हुए. ऐसे छह राज्यों के 116 जिलों में लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को रेलवे (Indian Railways) ने रोजगार देने का फैसला लिया है. 'गरीब कल्याण रोजगार अभियान' (Garib Kalyan Rojgar Abhiyan) के तहत 160 रेलवे बुनियादी ढाँचे के विकास कार्यों में इन प्रवासी श्रमिकों को रोजगार दिया जाएगा. 20 जून को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा शुभारम्भ के बाद से गरीब कल्याण रोजगार अभियान छह राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा और झारखंड के 116 जिलों में शुरू किया गया है.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने बीते बुधवार को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की प्रगति के संबंध में महाप्रबंधकों (जीएम) और मंडल रेल प्रबंधकों (डीआरएम) और पीएसयू के प्रबंध निदेशकों (एमडी) के साथ के वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अहम बैठक की. इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय रेलवे को हर जिले के साथ ही राज्यों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति करने के निर्देश दिए, जिससे राज्य सरकारों के साथ बेहतर समन्वय कायम किया जा सके. जबकि क्षेत्रीय स्तर के रेलवे प्रशासन को परियोजनाओं से प्रवासियों का जुड़ाव सुनिश्चित करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करने और इस क्रम में भुगतान करने के निर्देश दिए. प्रवासी बहुल राज्यों से शहरों के लिये अगले चार दिनों तक यात्रियों से शत-प्रतिशत भरी ट्रेनें चलने वाली हैं: रेलवे

रेलवे ने लगभग 160 बुनियादी ढांचागत कार्यों की पहचान की गई है, जिनमें तेजी लाई जानी है. इनसे हजारों कामगार जुड़ेंगे और अनुमानित तौर पर अक्टूबर, 2020 तक इनसे 8 लाख मानव दिवस रोजगार पैदा होंगे. इन जिलों में लगभग 1,800 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे.

रेलवे ने ऐसे रेल कार्यों की भी पहचान की है, जिन्हें मनरेगा के माध्यम से पूरा कराया जा सकता है. इसमें लेवल क्रॉसिंग के लिए संपर्क मार्गों के निर्माण एवं रखरखाव, रेल पटरियों से सटे अवरुद्ध जलमार्गों, खाइयों और नालियों के विकास और उनकी सफाई, रेलवे स्टेशनों को जाने वाले संपर्क मार्ग का निर्माण तथा रखरखाव, मौजूदा रेलवे तटबंधों/ कटाव (कटिंग्स) की मरम्मत और चौड़ीकरण, रेलवे की भूमि पर बड़ी सीमाओं पर वृक्ष लगवाना और मौजूदा तटबंधों/कटाव/सेतुओं के लिए सुरक्षा कार्य शामिल है.

उल्लेखनीय है कि देश में स्वास्थ्य आधारभूत ढांचे की क्षमता को बढ़ाने के लिए रेलवे के 5,231 कोच को पहले ही आइसोलेशन कोच के रूप में परिवर्तित किया जा चुका है, जिन्हें अब कोविड देखभाल केन्द्रों के रूप में उपयोग किया जा सकता है. राज्यों से मिले अनुरोध के आधार पर अभी तक विभिन्न स्थानों पर 960 कोचों को सेवा के लिए तैनात कर दिया गया है. इन कोचों में कम गंभीर मरीजों और संदिग्ध मरीजों को रखा जा रहा है.