
Story of Kankatta village of Jharkhand: भीषण गर्मी और पानी की तलाश न जाने क्या से क्या करवा दें. प्यास के आगे कुआं, तालाब, नदी कुछ भी नजर नहीं आता. अगर कुछ नजर आता है, तो वह है पानी की बूंद, जिसकी जरूरत इंसान को भी होती है और जानवर को भी. झारखंड के चतरा जिले के टंडवा प्रखंड के अंतर्गत सराढु पंचायत के कनकट्टा गांव में इंसान और जानवर दोनों एक ही घाट से पानी पीने को मजबूर हैं. कनकट्टा गांव की आबादी करीब तीन सौ है, लेकिन आजादी के करीब 77 वर्ष गुजरने के बाद भी इस गांव में विकास की किरण नहीं पहुंची है. इस गांव के लोगों के लिए न तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और न ही बिजली जैसी अन्य बुनियादी चीजें हैं. इस गांव में तीन कुंए भी हैं, जो इस भीषण गर्मी में सूख गये हैं. ऐसे में ग्रामीणों के समक्ष पीने की पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है.
कुएं के सूखने के बाद ग्रामीणों ने गांव के पास के नाले में गड्ढा कर पीने की पानी का वैकल्पिक व्यवस्था की है. इस गड्ढे से गांव के लोगों के अलावा पशु और पक्षी भी पानी पीते हैं. जानवरों के पानी पीने के चलते यहां का पानी दूषित हो चुका है, ऐसे में ग्रामीण उसी गड्ढे के छोर पर चुंआ खोदकर पीने के लिए पानी की व्यवस्था करते ह�>फोटो गैलरी