नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्वाचन आयोग (Election Commission) को निर्देश दिया कि आगामी लोकसभा चुनावों में चुनाव प्रक्रिया के प्रति मतदाताओं के बेहतर भरोसे के लिये मतगणना के दौरान एक विधानसभा क्षेत्र में वीवीपैट (VVPAT) पर्चियों के आकस्मिक जांच को एक मतदान केन्द्र से बढ़ाकर पांच केन्द्र किया जाये. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने 21 विपक्षी दलों के नेताओं के इस अनुरोध को नहीं माना कि ईवीएम मशीनों से लगी वीवीपैट की कम से कम 50 फीसदी पर्चियों का मिलान किया जाना चाहिए.
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि यह फैसला एक तरह से पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए दिया है. इससे 'एक निर्वाचन क्षेत्र से एक की बजाए पांच ईवीएम के चुनाव से इसकी प्रमाणिकता, चुनाव प्रक्रिया को लेकर विश्वास न केवल राजनीतिक पार्टियों को बल्कि गरीब लोगों के मन में भी सुनिश्चित हो जाएगा.
Supreme Court bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi says 'increasing the VVPAT verification from one EVM per constituency to five is to ensure the greatest degree of accuracy, satisfaction in election process and not only political parties but the poor should be satisfied.' https://t.co/QFKdcs8cj1
— ANI (@ANI) April 8, 2019
क्या होता है वीवीपैट
बता दें कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए चुनाव आयोग ने वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) जारी किया था. जिस कमरे या कम्पार्टमेंट में मतदाता वोट देने जाते हैं, बैलेटिंग यूनिट और वीवीपैट दोनों उसी कमरे में पांच मीटर की केबल की सहायता से कंट्रोल यूनिट से जुड़े होते हैं.