महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद, राज्य भर के कई उम्मीदवारों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) के माइक्रोकंट्रोलर के सत्यापन के लिए चुनाव आयोग से आवेदन करना शुरू कर दिया है. पुणे के 21 निर्वाचन क्षेत्रों में से 11 उम्मीदवारों ने माइक्रोकंट्रोलर की दोबारा जांच की मांग की है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे हैं.
इन सत्यापन की मांग करने वाले प्रमुख उम्मीदवारों में शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के बारामती से उम्मीदवार युगेंद्र पवार हैं. उन्होंने 19 EVMs के माइक्रोकंट्रोलर की जांच के लिए जिला प्रशासन से आवेदन किया है, जिसके लिए उन्होंने ₹8.96 लाख का भुगतान किया है. इसके अलावा, राकांपा के हडपसर से उम्मीदवार प्रशांत जगताप और पुणे कैंट से कांग्रेस के उम्मीदवार रमेश बागवे ने भी EVMs के माइक्रोकंट्रोलर का सत्यापन कराने की मांग की है.
माइक्रोकंट्रोलर का सत्यापन उन उम्मीदवारों को करने का अधिकार है, जो चुनाव में दूसरे या तीसरे स्थान पर रहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, उम्मीदवार 5% EVMs का माइक्रोकंट्रोलर सत्यापन करवा सकते हैं. पूरे जिले में कुल 137 EVMs के माइक्रोकंट्रोलर की जांच की मांग की गई है, और इसके लिए चुनाव आयोग को ₹66.64 लाख का भुगतान किया गया है.
प्रशांत जगताप ने हडपसर निर्वाचन क्षेत्र की 27 EVMs की जांच के लिए ₹12 लाख का भुगतान किया है, जबकि राहुल कलाटे ने चिंचवड़ विधानसभा क्षेत्र की 25 EVMs की जांच के लिए ₹11 लाख का भुगतान किया है. पुरंदर के कांग्रेस उम्मीदवार संजय जगताप ने 21 EVMs की जांच के लिए ₹9.9 लाख का भुगतान किया है.
इन सत्यापन प्रक्रियाओं के दौरान कड़ी निगरानी रखी जाएगी, जिसमें उम्मीदवारों के साथ-साथ वीवीपीएटी (Voter Verifiable Paper Audit Trail) निर्माण कंपनियों के इंजीनियर भी शामिल होंगे. यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चुनाव परिणाम पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी हों.
इस पूरी प्रक्रिया से यह स्पष्ट होता है कि महाराष्ट्र चुनावों के परिणामों पर कई उम्मीदवारों को संदेह है, और वे विश्वास बहाली के लिए EVMs का सत्यापन कराना चाहते हैं. इस मुद्दे ने चुनावी पारदर्शिता और चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर नई बहस छेड़ दी है, और अब देखना होगा कि आने वाले समय में चुनाव आयोग इस पर क्या कदम उठाता है.