नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा में पूछे गए सवाल पर एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार, सीबीएसई की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के पेपर के अंशों में ''लैंगिक रूढ़िवादिता'' को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और ''प्रतिगामी धारणाओं'' का समर्थन करने संबंधी आरोपों के बाद बोर्ड एक्शन में आया है. विवाद बढ़ता देख सीबीएसई ने एक दिन पहले इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया है. छात्रों, अभिभावकों ने सीबीएसई की 10वीं की अंग्रेजी परीक्षा में कुछ प्रश्नों को ‘भ्रामक’ बताया
शनिवार (11 दिसंबर) को आयोजित 10वीं की परीक्षा (CBSE Exams) में पेपर में ''महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया'' और ''अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है'' जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जतायी गई है.
पेपर के ऐसे अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना साध रहे हैं और यूजर्स हैशटैग ''सीबीएसई इनसल्टस वुमैन'' (सीबीएसई ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दिये.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी पेपर पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया. उन्होंने कहा, ''अविश्वसनीय. क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से बीजेपी सरकार महिलाओं संबंधी इन प्रतिगामी विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?''
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की समाज शास्त्र विषय की परीक्षा में भी एक सवाल को लेकर विवाद की स्थिति बन गई. इसी पेपर में गुजरात दंगे से जुड़ा एक सवाल पूछा गया था. पेपर में पूछा गया था कि 2002 में हुए मुस्लिम विरोधी हिंसा किस सरकार के शासनकाल में हुई थी. इसके चार विकल्प भी दिए गए थे- कांग्रेस, बीजेपी, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन. जिसके बाद इस तरह के सवाल को लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने सीबीएसई बोर्ड को घेरा था. (एजेंसी इनपुट के साथ)