नई दिल्ली: पिछले डेढ़ महीनों में दिल्ली और आसपास के इलाकों में 10 बार भूकंप से कांप आ चुके है. इनमें से अधिकतर भूकंप काफी कम तीव्रता वाले थे और कुछ माध्यम तीव्रता वाले थे. हालांकि शुक्रवार यानि 29 मई को दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में झटका जोर का था जिसने लोगों को डरा दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में पिछले डेढ़ महीनों में आए भूकंप से न तो आगे के भूकंप के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. नैशनल सेंटर फॉर सिस्मॉलॉजी (एनसीएस) के अनुसार दिल्ली में बड़े भूकंप की आशंका कम है, लेकिन इससे पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता.
भूकंप जोखिम मूल्यांकन केंद्र के पूर्व प्रमुख डॉ. ए के शुक्ला (DR SK Shukla) ने कहा, इनमें से अधिकांश भूकंप 2.3 से 4.5 तक मापने वाले कम परिमाण के थे. दिल्ली में भूकंप के बढ़ते झटकों की एक वजह स्थानीय है. यहां पर फॉल्ट सिस्टम काफी सक्रिय है. दिल्ली के आसपास की ऐसी फॉल्ट सिस्टम 6 से 6.5 के आसपास की तीव्रता के भूकंप का उत्पादन करने में सक्षम हैं. यह भी पढ़ें- दिल्ली-NCR में झमाझम बारिश से तापमान में गिरावट, राजधानी के कुछ हिस्सों में हुआ जलभराव.
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के प्रमुख डॉ. कलाचंद सैन (Dr Kalachand Sain) ने कहा, "हम समय, स्थान या सटीक पैमाने की भविष्यवाणी नहीं कर सकते, लेकिन यह मानते हैं कि एनसीआर क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधि चल रही है और दिल्ली में एक बड़े भूकंप का कारण बन सकती है.
इस साल 12 अप्रैल से 29 मई तक नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी द्वारा दिल्ली-एनसीआर में दस भूकंप दर्ज किए गए हैं. इस अवधि के दौरान, उत्तराखंड में चार और हिमाचल प्रदेश में छह झटके दर्ज किए गए. दिल्ली भूकंप के मामले में सिस्मिक जोन 4 में आता है. दिल्ली हिमालय के करीब भी है जहां 8 से अधिक तीव्रता के कई भूकंप आए हैं. एक अध्ययन में पता चला है कि हिमालयी क्षेत्र में कुछ बड़े झटके आने की संभावना है जो दिल्ली-एनसीआर को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.