Delhi University: फीस नहीं बढ़ेगी, सीट छोड़ने पर भी नहीं लगेगा शुल्क
दिल्ली विश्वविद्यालय (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 4 अगस्त : कोरोना महामारी के चलते दिल्ली यूनिवर्सिटी में इस बार फीस नहीं बढ़ाएगी. दरअसल कोरोना के कारण कई लोगों की आमदनी में गिरावट आई है और कुछ का रोजगार चला गया. इसी देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) ने फीस न बढ़ाने का फैसला किया है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने इसके अलावा भी छात्रों को एक और राहत दी है. दाखिला फीस भरने के बाद यदि कोई छात्र अपना नाम वापस लेना चाहे तो विश्वविद्यालय ऐसे छात्रों को पूरी फीस वापस करेगा. छात्र का यदि किसी अन्य पाठ्यक्रम, शिक्षण संस्थान में दाखिला हो गया है और इस वजह से वह दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं लेना चाहता तो ऐसी स्थिति में भी छात्र की फीस वापस कर दी जाएगी.

डीयू दाखिला समिति का कहना है कि छात्रों को 31 अक्टूबर से पहले इस बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित करना होगा. दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला पा चुके छात्र यदि 31 अक्टूबर से पहले अपना नाम वापस लेते हैं तो उनको पूरी फीस वापस की जाएगी. दूसरी ओर यदि कोई छात्र 31 अक्टूबर के बाद अपनी सीट छोड़ना चाहता है तो ऐसी स्थिति में प्रोसेसिंग चार्ज के रूप में 1000 का शुल्क विश्वविद्यालय वसूलेगा. गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कालेजों में दाखिले की प्रक्रिया 2अगस्त से शुरू हो गई है. इस बार बड़ी संख्या में 12वीं के छात्रों ने 95 से अधिक अंक अर्जित किए हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय के मुताबिक ऐसे में कॉलेजों में एडमिशन बढ़ाए जा सकते हैं. इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेजों की मेरिट लिस्ट भी पहले के मुकाबले और अधिक ऊपर जा सकती है. यह भी पढ़ें: Uttarakhand: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ धाम में पुनर्निर्माण कार्यों का ड्रोन से लिया जायजा, कर्मचारियों को तेजी से कार्य करने के दिए निर्देश

अंडर- ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए 31 अगस्त तक आवेदन फार्म भरा जा सकता है. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई यह दाखिला प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है. दिल्ली विश्वविद्यालय में जहां अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए दाखिला प्रक्रिया सोमवार 2 अगस्त से शुरू हुई है, वहीं पोस्ट ग्रेजुएट कार्यक्रम के लिए दाखिला प्रक्रिया 26 जुलाई से शुरू हो चुकी है. दिल्ली विश्वविद्यालय ने पिछले वर्ष कोविड महामारी के कारण सामने आई चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, इस वर्ष, छात्रों के लाभ के लिए, विश्वविद्यालय ने पात्रता मानदंड को पिछले वर्ष की तरह बनाए रखने का निर्णय लिया है.