नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने शनिवार को 21 वर्षीय क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि (Disha Ravi) को किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित 'टूलकिट' फैलाने में उसकी कथित भूमिका के लिए बेंगलुरु से गिरफ्तार किया है. कुछ दिन पहले ही दिल्ली पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन के मामले में ‘‘खालिस्तानी समर्थक’’ समूह द्वारा तैयार और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग तथा अन्य द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए ‘टूलकिट’ के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी. हालांकि एफआईआर में किसी का नाम नहीं लिया गया था. प्रधानमंत्री के ‘‘परजीवी’’ कहने से किसान समुदाय को गहरा दुख पहुंचा: किसान नेता
किसानों के प्रदर्शन के समर्थन में देश को बदनाम करने की 'अंतरराष्ट्रीय साजिश' की जांच दिल्ली पुलिस की साइबर सेल कर रही है. विशेष पुलिस आयुक्त प्रवीर रंजन ने दावा किया है कि 26 जनवरी को हुई हिंसा सोशल मीडिया पर साझा किए गए टूलकिट में बताई गई है. विभिन्न धाराओं के तहत 'आपराधिक साजिश' और 'समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने' के प्रयास के लिए एफआईआर दर्ज की गई है.
Delhi Police Cyber Cell arrested 21-year-old climate activist Disha Ravi from Bengaluru on 13th February for her alleged role in spreading 'toolkit' related to farmers protest
— ANI (@ANI) February 14, 2021
पुलिस अधिकारी ने बताया कि एफआईआर केवल टूलकिट के रचनाकारों के खिलाफ है, जिसकी जांच जारी है. दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा था "टूल किट के रचनाकारों की मंशा विभिन्न सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों के बीच असहमति पैदा करना और भारत सरकार के खिलाफ असहमति और अंसतोष को प्रोत्साहित करना था. इसका उद्देश्य भारत के खिलाफ सामाजिक सांस्कृतिक और आर्थिक लड़ाई को भी गति देना है."
कुछ दिन पहले ही केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को अपना समर्थन देते हुए स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने भी एक 'टूलकिट' साझा किया था, जिसमें लोगों को यह बताया गया था कि कैसे किसानों के प्रदर्शन का लोगों को समर्थन करना चाहिए. लेकिन यह बाद में डिलीट कर दिया गया. हालांकि उन्होंने फिर अपडेटेड टूलकिट डॉक्यूमेंट पोस्ट किया. एक अधिकारी के मुताबिक, इस दस्तावेज में किसानों के समर्थन में ट्विटर पर ट्वीट की झड़ी लगाने और भारतीय दूतावासों के बाहर प्रदर्शन करने की भी योजना तैयार की गयी थी.
दिल्ली पुलिस ने ‘टूलकिट’ बनाने वालों के संबंध में गूगल और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों से ईमेल आईडी, डोमेन यूआरएल और कुछ सोशल मीडिया अकाउंट की जानकारी मांगी थी. बीते हफ्ते दिल्ली पुलिस ने बताया कि 300 से अधिक सोशल मीडिया अकाउंट की पहचान की गई है, जो किसान प्रदर्शन पर दुर्भावनापूर्ण सामग्री सर्कुलेट करते देखे गए. पुलिस का कहना है कि 26 जनवरी को जो हिंसा हुई, वह पहले से स्क्रिप्टेड थी. दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, शुरुआती जांच से पता चला है कि दस्तावेज के तार खालिस्तान-समर्थक समूह ‘पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन’ से जुड़े हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)