नई दिल्ली, 25 दिसंबर : दिल्ली (Delhi) में मेयर का चुनाव सीधे तौर पर नहीं होता है. चुनाव जीतकर आए पार्षद ही मेयर चुनते हैं. एमसीडी में जो भी पार्टी जीत कर आती है उसका कार्यकाल 5 साल के लिए होता है. एक ही व्यक्ति 5 साल तक मेयर नहीं रह सकता. दिल्ली में मेयर का कार्यकाल एक साल के लिए होता है. एमसीडी में हर साल पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं. दिल्ली एमसीडी पहले तीन भागों में बंटी हुई थी. अब दिल्ली एमसीडी एक ही है. दिल्ली एमसीडी के 5 वर्षों में पहला साल मेयर के लिए महिला पार्षद के लिए आरक्षित है, तो वहीं तीसरा साल अनुसूचित जाति के पार्षद के लिए आरक्षित है. बाकी 3 साल मेयर का पद अनारक्षित होता है.
दिल्ली नगर निगम एक्ट के हिसाब से हर साल अप्रैल में पहली बैठक में मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होता है. सदन की पहली बैठक के बाद मेयर के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है. पहले नामांकन प्रक्रिया होती है और उसके बाद पार्षद मेयर का चुनाव करते हैं. आपको बता दें कि इस बार दिल्ली के मेयर का चुनाव 6 जनवरी को होगा. उसमें सभी पार्षदों को शपथ दिलाई जाएगी और 6 जनवरी को ही डिप्टी मेयर भी चुना जायेगा. दिल्ली में मेयर का अगला इलेक्शन 2024 में होगा. लेकिन 2024 में किस महीने में मेयर का अगला इलेक्शन होगा इसकी कोई जानकारी अभी तक नहीं है. यह भी पढ़ें : गुजरात में ‘पैराग्लाइडिंग’ के दौरान 50 फुट की ऊंचाई से गिरने पर दक्षिण कोरियाई व्यक्ति की मौत
जो पार्षद वोट कर सकते हैं वह 250 चुने हुए पार्षद हैं. सांसदो में 7 लोकसभा सांसद, 3 राज्यसभा सांसद मनोनीत लोगों में 14 विधायक जो दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष की सहमति पर बनाए जाएंगे, वोट कर सकते हैं. साथ ही उपराज्यपाल 10 मनोनीत लोगों (पार्षदों) की नियुक्ति करेंगे. कुल मिलाकर इस आंकड़े को देखा जाए तो 284 सदस्य होते हैं. दिल्ली एमसीडी में, लेकिन अगर 10 मनोनीत पार्षद हटा दिए जाएं तो 274 लोग ही फिलहाल मेयर चुनाव में वोटर होंगे.