दिल्ली के जल मंत्री सतेंद्र जैन ने तिमारपुर व भलस्वा झील साइट का किया निरीक्षण, रोहिणी-रिठाला-कारोनेशन वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का भी किया दौरा
जल मंत्री सतेंद्र जैन (Photo Credits Delhi Govt)

दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष एवं जल मंत्री सतेंद्र जैन (Satyender Jain) ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कल शाम (17 अक्टूबर 2020) रोहिणी (15 एमजीडी), रिठाला (60 एमजीडी), कोरोनेशन पिलर (30 एमजीडी) में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट्स (अपशिष्ट उपचार संयंत्रों) का दौरा किया.  साथ ही उन्होंने तिमारपुर स्थित ऑक्सीडेशन तालाब और भलस्वा झील साइट का भी स्थलीय निरीक्षण किया.  कैबिनेट मंत्री सतेंद्र जैन ने बताया कि दिल्ली में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण आने वाले दिनों में बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होगी.

इसलिए हम सभी को पानी का उपयोग बहुत ही समझदारी के साथ करने की जरूरत है। पहले से उपलब्ध पानी के संसाधनों पर बोझ कम करने और जहां भी संभव हो, पानी के संसाधन के नए विकल्प स्थापित किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार, यमुना को स्वच्छ बनाने और दिल्ली में कम होते भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसी उद्देश्य से डीजेबी ने शोधित पानी का उपयोग पीने के अलावा अन्य गतिविधियों, जैसे- बागवानी कार्यों और विभिन्न एजेंसियों/संगठनों को देने या बसों और ट्रेनों को धोने के लिए प्रयोग करना शुरू किया है. यह भी पढ़े: दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय की पहली बोर्ड बैठक के दौरान बोले सीएम केजरीवाल- हर छात्र को रोजगार दिलाना है हमारा उद्देश्य

उन्होंने आगे बताया, ‘हाल के दिनों में इस शोधित पानी का उपयोग अपनी पूरी क्षमता के साथ नहीं किया जा रहा है। अभी हमारे पास 20 दूषित जल शोधित संयंत्र (वेस्ट वाॅटर ट्रीमटमेंट प्लांट) हैं, जिसमें 500 एमजीडी दूषित जल को साफ किया जाता है और उसमें से 90-95 एमजीडी जल का उपयोग किया जा रहा है. दिल्ली जल बोर्ड का उद्देश्य है कि वो शोधित जल को पीने के पानी के अलावा दूसरे कामों में ज्यादा ज्यादा से उपयोग किया जाए. मंत्री सतेंद्र जैन ने अधिकारियों को अब एसटीपी से निकलने वाले 100 एमजीडी शोधित पानी का उपयोग करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि उक्त एसटीपी में और उसके आसपास उपलब्ध लगभग 500 एकड़ के ग्रीन बेल्ट और वन क्षेत्रों में रिठाला, रोहिणी और कोरोनेशन पिलर के शोधित जल प्रवाह का उपयोग चरणबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए.

उन्होंने निरीक्षण के दौरान निम्नलिखित बातों पर बल दिया-

1) संबंधित एसटीपी से वनों और हरित क्षेत्रों में शोधित जल का उपयोग होना चाहिए.

2) मौजूदा एसटीपी के 100 प्रतिशत क्षमता को सुनिश्चित करने के लिए अधिक से अधिक ध्यान दिया जाए.

3) सभी रक्षात्मक ई एंड एम उपकरणों और बायोगैस संयंत्रों को तत्काल आधार पर ठीक किए जाने की आवश्यकता है.

4) रोहिणी एसटीपी में 80 एकड़ खाली भूमि, रिठाला एसटीपी में 60 एकड़ वन, कोरोनेशन पिलर एसटीपी के पास 250 एकड़ वन का उपयोग शोधित अपशिष्ट के आवेदन के माध्यम से भूजल स्तर में सुधार के लिए किया जाना चाहिए.

5) एसटीपी के पास बिना शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग किया जाना चाहिए और एसटीपी में शोधित जल उपयोग किया जाना चाहिए, ताकि उपलब्ध बुनियादी ढांचे का शत-प्रतिशत उपयोग किया जा सके.

6) निगम का दूषित पानी किसी भी हाल में बारिश में एकत्रित हुए के पानी से न मिले.