NEET, JEE जैसा स्वरूप लेगा CUET, शामिल होगी स्टेट और प्राइवेट यूनिवर्सिटी
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नई दिल्ली, 8 मई : विश्वविद्यालयों और खास तौर पर केंद्रीय विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में दाखिले के लिए शुरू की गई प्रक्रिया 'सीयूईटी' अब एक बड़ा और व्यापक रूप लेती नजर आ रही है. विशेषज्ञों की मानें तो कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) को जल्द ही नीट और जेईई सरीखी परीक्षाओं जैसा महत्व एवं मान्यता मिल सकती है. 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय पहले से ही इसकी परिधि में हैं. वहीं 30 से अधिक राज्य स्तरीय एवं प्राइवेट विश्वविद्यालयों से सीयूईटी को लेकर चर्चा चल रही है.

जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी जैसे अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों ने भी इसे मान्यता दी है. यूजीसी का मानना है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के अलावा यह राज्य स्तरीय एवं प्राइवेट यूनिवर्सिटी सीयूईटी को मान्यता देंगे. कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट नई शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण अंग है. इसे लागू करने के लिए केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय समेत विभिन्न स्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं. हाल ही में 3 गैर भाजपा शासित महत्वपूर्ण राज्यों -- पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों से भी यूजीसी ने इस विषय पर चर्चा की है. यूजीसी का कहना है कि यह संवाद काफी सकारात्मक रहा है. यूजीसी इनके अलावा भी कई और राज्यों से इस विषय पर चर्चा कर चुका है. यह भी पढ़ें : UP: केशव प्रसाद मौर्य को मात देने वाली पल्लवी पटेल के पति ने दिया इस्तीफा, मतभेद की सुगबुगाहट

स्वयं यूजीसी चेयरमैन प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार ने विभिन्न राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के विषय पर चर्चा की है. यूजीसी के चेयरमैन ने जिन राज्यों के विश्वविद्यालयों से सीयूईटी का हिस्सा बनने को लेकर चर्चा की है उनमें असम, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल शामिल हैं. केवल राज्य स्तरीय विश्वविद्यालय ही नहीं बल्कि टाटा यूनिवर्सिटी ऑफ सोशल साइंस, मुंबई और हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी जैसे संगठनों ने यूजीसी के साथ हुई चर्चा में सीयूईटी का हिस्सा बनने में रुचि दिखाई है.

सीयूईटी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यूजी प्रवेश के लिए तैयार की गई है. शिक्षा मंत्रालय स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए इसे एक अखिल भारतीय प्रवेश प्रक्रिया बनाना चाहता है. यूजीसी इसके लिए बकायदा सभी राज्य और निजी विश्वविद्यालयों एवं अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों से संपर्क कर रहा है.

हालांकि ऐसा नहीं है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय दाखिले के लिए एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट ले रहे हैं. इससे पहले यूजी दाखिले के लिए सीयूसीईटी का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें 14 केंद्रीय विश्वविद्यालय शामिल थे. हालांकि अब नई शुरू की गई सीयूईटी का प्रारूप पुरानी व्यवस्था से काफी अलग है. पहले होने वाली परीक्षाओं में सवाल केवल अंग्रेजी में थे. अब होने वाली प्रवेश परीक्षा 13 अलग-अलग भाषाओं में आयोजित की जाएगी. इनमें इंग्लिश, हिंदी, मराठी, असमिया, बंगाली, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया, गुजराती, तमिल, पंजाबी और उर्दू भी हैं. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है. प्रसिद्ध शिक्षाविद सीएस कांडपाल के मुताबिक ऐसे में छात्रों को न केवल अपनी मातृभाषा में परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा बल्कि हिंदी मीडियम के छात्र अंग्रेजी के कारण भेदभाव का शिकार भी नहीं बनेंगे.

वहीं और अधिक छात्रों एवं विश्वविद्यालयों को इस प्रक्रिया में शामिल करने के लिए यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट यानी सीयूआईटी की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया 22 मई तक बढ़ा दी गई है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अंतिम तिथि आगे बढ़ाने का फैसला किया है. पहले 6 मई को यह प्रक्रिया समाप्त होने जा रही थी. अब 22 मई तक पंजीकरण कराया जा सकता है. जगदीश कुमार ने इस विषय पर आधिकारिक जानकारी देते हुए कहा, हम कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 22 मई तक बढ़ा रहे हैं. हमें उम्मीद है कि यह छात्रों को कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट के लिए आवेदन करने का अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा.

कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) साल में दो बार होंगे. हालांकि इसके लिए अभी इंतजार करना होगा. यह परीक्षाएं साल में दो बार करने का निर्णय अगले वर्ष से लागू किया जाएगा. अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए इस एंट्रेंस टेस्ट के 2 सेशन आयोजित होने पर छात्रों को अधिक विकल्प उपलब्ध हो सकेंगे. फिलहाल अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए यह कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित किया जा रहा है लेकिन अगले साल पीजी कोर्स के लिए भी सीयूईटी का आयोजन किया जा सकता है.