नयी दिल्ली, 29 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने देश भर में ईसाई संस्थानों और पादरियों पर कथित हमलों के साथ-साथ घृणा अपराधों को रोकने और अपने पुराने दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन पर बुधवार को केंद्र से एक रिपोर्ट देने को कहा.
प्रधान न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय एमएचए) को निर्देश दिया कि वह राज्यों द्वारा अदालत के दिशा-निर्देशों के अनुपालन पर एक रिपोर्ट तैयार करे और उसे सौंपे. Karnataka Election 2023: राहुल गांधी कर्नाटक में फूंकेंगे चुनावी बिगुल, कोलार से शुरू करेंगे ‘सत्यमेव जयते’ अभियान
याचिकाकर्ता के वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि इस संबंध में हर जिले में नोडल अधिकारियों को अधिसूचित किया गया है, लेकिन वे मामले दर्ज नहीं कर रहे हैं, जिसके बाद अदालत ने यह निर्देश पारित किया.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में रैलियों के दौरान नफरत भरे भाषण दिए जा रहे हैं और उनकी खबरें नियमित रूप से टेलीविजन और समाचार पत्रों में दिख रही हैं. अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने गोंजाल्विस द्वारा प्रस्तुत की गयी रिपोर्ट का विरोध करते हुए कहा कि इस मामले में "बिना किसी आधार के बयान देना आसान है.’’
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने तब कहा, ‘‘गृह मंत्रालय को इस संबंध में जवाब दाखिल करने दीजिए. हम इसकी सुनवाई दो सप्ताह के बाद कर सकते हैं. ’’ गौरतलब है कि 2018 में शीर्ष अदालत ने घृणा अपराधों से निपटने के लिए केंद्र और राज्यों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए थे.
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