अब नहीं होगा शारदा चिट फंड जैसा घोटाला, पोंजी स्कीम देने वाले के साथ ही ब्रांड एम्बेसेडर को भी जाना पड़ेगा जेल
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में हुए शारदा चिट फंड घोटाले में लाखों गरीबों के हजारों करोड़ रुपये गबन कर लिए गए. इस प्रकार के देश में कई मामलें है जिसमें करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है. अब मोदी सरकार ने ऐसे पोंजी स्कीमों (Ponzi schemes) पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है. जिसके बाद से पोंजी स्कीम देने वाले के साथ ही उसका प्रचार करने वाले ब्रांड एम्बेसेडर को भी जेल की हवा खानी पड़ेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में ऐसी योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी गई है. सरकार ने वित्‍त पर गठित स्‍थायी समिति (एससीएफ) की सिफारिशों को ध्‍यान में रखते हुए अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक, 2018 में आधिकारिक संशोधन को हरी झंडी दी है. इसके लागू होने के बाद देश में अवैध रूप से जमा राशि जुटाने के खतरे से कारगर ढंग से निपटने और इस तरह की योजनाओं के जरिये गरीबों एवं भोले-भाले लोगों की गाढ़ी कमाई हड़प लेने पर रोक लगाने की दृष्टि से और मजबूत हो जाएगा.

इस विधेयक में प्रतिबंध लगाने का एक व्‍यापक अनुच्‍छेद है, जो जमा राशि जुटाने वालों को किसी भी अनियमित जमा योजना का प्रचार-प्रसार करने, संचालन करने, विज्ञापन जारी करने अथवा जमा राशि जुटाने से प्रतिबंधित करता है. विधेयक में कठोर दंड देने और भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है.

इसके साथ ही विधेयक में उन मामलों में जमा राशि को वापस लौटाने या पुनर्भुगतान करने के पर्याप्‍त प्रावधान किये गये हैं, जिनके तहत ये योजनाएं किसी भी तरह से अवैध तौर पर जमा राशि जुटाने में सफल हो जाती हैं. वहीं एक ऑनलाइन केन्‍द्रीय डेटाबेस बनाने का प्रावधान किया गया है, ताकि देश भर में जमा राशि जुटाने की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं का संग्रह करने के साथ-साथ उन्‍हें साझा भी किया जा सके.

गौरतलब हो कि मोदी सरकार ने अवैध रूप से जमा राशि जुटाने वाली योजनाओं से निपटने के लिए कड़े कानून बनाने की बात कही थी. दरअसल हाल ही के महीनों में पोंजी स्कीम के जरिये लोगों को भारी चपत लगाने के मामले बढ़ते जा रहे थे. जिनका शिकार सबसे ज्यादा गरीब और निरक्षर लोग होते थे. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्‍ध कराई गई सूचनाओं के मुताबिक जुलाई, 2014 और मई, 2018 के बीच इस तरह के 978 मामलें सामने आए.