बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल को निरस्त कर दिया, जिसमें सरकार ने ऑनलाइन झूठी खबरों की पहचान के लिए फैक्ट-चेकिंग यूनिट (FCU) स्थापित करने की योजना बनाई थी. यह फैसला प्रसिद्ध स्टैंडअप कॉमेडियन कुनाल कामरा द्वारा दायर की गई याचिका के बाद आया, जिन्होंने इस योजना के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था. जस्टिस एएस चंदुरकर ने कहा कि 2023 के सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम (IT Amendment Rules), जो केंद्र को फैक्ट-चेकिंग यूनिट बनाने की शक्ति देते हैं, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करते हैं.
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जस्टिस चंदुरकर ने कहा, "मैंने इस मामले को गहराई से देखा है. जिन नियमों को चुनौती दी गई है, वे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के उल्लंघन में हैं." उन्होंने यह भी कहा कि आईटी नियमों में "फेक, फॉल्स और मिसलीडिंग" जैसे शब्दों की स्पष्ट परिभाषा नहीं दी गई है, जो इन्हें "अनिश्चित और गलत" बनाता है.
क्या है मामला:
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियमों के तहत ऑनलाइन फेक न्यूज की पहचान और उसे रोकने के लिए एक फैक्ट-चेकिंग यूनिट (FCU) स्थापित करने का प्रस्ताव रखा. इस कदम का विरोध करते हुए स्टैंडअप कॉमेडियन कुनाल कामरा ने कोर्ट में याचिका दायर की. जनवरी में, बॉम्बे हाई कोर्ट की एक डिवीजन बेंच ने इस मामले पर विभाजित फैसला सुनाया था, जिसमें न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति नीला गोकले शामिल थे.
जहां जस्टिस पटेल ने इन नियमों को असंवैधानिक मानते हुए उन्हें रद्द कर दिया, वहीं न्यायमूर्ति गोकले ने कहा कि इन नियमों का वाक स्वतंत्रता पर कोई "ठंडा प्रभाव" (Chilling Effect) नहीं पड़ता. इस विभाजित फैसले के बाद मामला तीसरे न्यायाधीश के पास भेजा गया, जिनका फैसला हाल ही में आया.
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
इससे पहले, मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा जारी एक अधिसूचना पर रोक लगाई थी, जिसमें इस फैक्ट-चेकिंग यूनिट को चालू करने की योजना का जिक्र था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र इस योजना को तब तक आगे नहीं बढ़ा सकता जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट इस मामले की संवैधानिकता पर फैसला नहीं देता.
क्या है अनुच्छेद 14 और 19?
अनुच्छेद 14: यह नागरिकों को कानून के समक्ष समानता और कानून की समान सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है.
अनुच्छेद 19: यह नागरिकों को वाक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति का अधिकार देता है, जिसमें उनकी पेशे से जुड़े कार्यों को करने का अधिकार भी शामिल है.
केंद्र सरकार का तर्क
केंद्र सरकार का तर्क था कि ऑनलाइन फेक न्यूज और गलत जानकारी रोकने के लिए फैक्ट-चेकिंग यूनिट का गठन जरूरी है. हालांकि, याचिकाकर्ता कुनाल कामरा और उनके वकीलों ने तर्क दिया कि यह कदम वाक स्वतंत्रता पर हमला है और यह सेंसरशिप के समान है.
बॉम्बे हाई कोर्ट के तीसरे न्यायाधीश का फैसला इस बात पर आधारित था कि यह नियम संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बिना स्पष्ट परिभाषाओं के ये नियम अव्यवहारिक हैं और इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा गलत सूचनाओं के नाम पर लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.