बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत के मामले में बढ़ी हर्षवर्धन और मंगल पांडेय की मुश्किलें, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
डॉ. हर्षवर्धन और मंगल पांडेय (Photo Credits: ANI)

बिहार (Bihar) में चमकी बुखार से हो रही बच्चों की मौत के मामले में मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) सीजेएम कोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल, 17 जून को सीजेएम कोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन (Dr. Harsh Vardhan) और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Mangal Pandey) के खिलाफ केस दायर किया गया था. इन पर एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) से बीते पखवाड़े में लापरवाही बरतने की वजह से बच्चों की मौत का आरोप लगाया गया था. इसी मामले की सुनवाई करते हुए मुजफ्फरपुर के सीजेएम सूर्यकांत तिवारी (Suryakant Tiwari) ने जांच के आदेश दिए हैं. ज्ञात हो कि सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) की अदालत में यह मामला दायर किया था.

याचिका में कहा गया था कि हर्षवर्धन और मंगल पांडेय, एईएस प्रकोप को नियंत्रित करने की अपने ड्यूटी को पूरा करने में विफल रहे हैं. एईएस से बच्चों की सालों से मौत के बावजूद इन दोनों ने प्रभावित क्षेत्रों में लोगों में जागरूकता व संवेदनशीलता पैदा करने के लिए कुछ नहीं किया. हाशमी ने कहा था कि उन्होंने भारतीय दंड सहिता (आईपीसी) की धारा 323, 308 व 504 के तहत आरोपी हर्षवर्धन व मंगल पांडेय के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उन्होंने कहा था कि लापरवाही व बुनियादी ढांचे की कमी की वजह से उचित इलाज नहीं मिलने से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई है. यह भी पढ़ें- बिहार में चमकी बुखार का कहर, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और मंगल पांडेय के खिलाफ मुजफ्फरपुर में केस दर्ज

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने इंसेफेलाइटिस से मुजफ्फरपुर में हुई 100 से अधिक बच्चों की मौत के मामले में सोमवार को केंद्र और बिहार सरकार को सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. न्यायामूर्ति संजीव खन्ना और न्यायामूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने बिहार सरकार को चिकित्सा सुविधाओं, पोषण और स्वच्छता व राज्य में स्वच्छता की स्थिति की पर्याप्तता पर एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश भी दिया है.

एजेंसी इनपुट