पूरा देश इस वक्त कोरोना वायरस से जंग लड़ रहा है. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण भारत के अधिकांश राज्य लोग संक्रमित हो गए हैं. कोरोना वायरस के कारण बिहार में भी मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसे रोकने के लिए बिहार की सरकार डोर टू डोर स्क्रीनिंग करा रही है. जिसके कारण राज्य के कुछ इलाकों में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों के केस सामने आया है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा, बिहार स्वास्थ्य विभाग ने कुछ जिलों में कोरोना के लिए लोगों की स्क्रीनिंग के लिए डोर-टू-डोर अभियान में अपेक्षाकृत अधिक संख्या में मामले सामने आए. इसका फायदा यह हुआ कि स्क्रीनिंग से उन जिलों में अधिक मामलों की पहचान हुई.
बता दें कि पटना एम्स में कतर से लौटे मुंगेर जिला निवासी एक मरीज की गत 21 मार्च को तथा वैशाली जिला निवासी एक मरीज की 17 अप्रैल को मौत हो गयी थी. बिहार के कुल 38 जिलों में से 29 जिलों में कोविड-19 के मामले सामने आए हैं. वहीं बिहार में बुधवार को कोरोना वायरस (Covid-19) संक्रमण के 37 नये मामले सामने आने के बाद प्रदेश में संक्रमण के मामले बढ़कर 403 हो गये थे. बिहार सरकार के सामने कोरोना वायरस से मुक्ति के साथ यह भी चुनौती बनी हुई है कि अन्य राज्यों में फंसे राज्य की जनता को कैसे लाया जाए. जिसमें बड़ी संख्या में मजदूर और विद्यार्थी हैं.
ANI का ट्वीट:-
Bihar Health Department conducted a door-to-door drive to screen people for #COVID19 in some districts that reported relatively higher number of cases. The door-to-door screening led to identification of more cases in those districts: State Health Minister Mangal Pandey pic.twitter.com/FePnNxksM8
— ANI (@ANI) April 30, 2020
दरअसल मंगलवार को पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार को निर्देश दिया था कि यदि राजस्थान के कोटा में फंसे छात्रों में से कोई भी राज्य सरकार से किसी भी तरह की मदद चाहे तो सरकार को उनका ध्यान रखना चाहिए. 27 अप्रैल को कोरोना वायरस पर आयोजित प्रधानमंत्री की वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि राजस्थान के कोटा में कोचिंग संस्थान में बिहार के छात्र भी बडी़ संख्या में पढ़ते हैं.