कोलकाता, 4 फरवरी : पश्चिम बंगाल में राशन वितरण मामले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस नेता शंकर आध्या से जुड़ी दुबई स्थित कॉर्पोरेट इकाई (जिसका अब लाइसेंस-समाप्त हो चुका है) के माध्यम से डॉलर में किए गए एक फर्जी लेनदेन का पता लगाया है. सूत्रों ने कहा कि यह लेनदेन उक्त कॉर्पोरेट इकाई का लाइसेंस समाप्त होने से कुछ महीने पहले अक्टूबर 2019 में किया गया था.
सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारियों को शक है कि कॉर्पोरेट इकाई केवल पश्चिम बंगाल में राशन वितरण मामले की आय को ठिकाने लगाने के उद्देश्य के लिए बनाई गई थी ईडी के अधिकारियों द्वारा वहां मैराथन छापेमारी और तलाशी अभियान चलाने के बाद आध्या को 5 जनवरी की देर रात उत्तर 24 परगना जिले के बनगांव स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था. यह भी पढ़ें : बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने की अमित शाह, राजनाथ सिंह से मुलाकात
शुरुआत में, सूत्रों ने कहा, पूछताछ के दौरान गिरफ्तार सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने केंद्रीय एजेंसी के अधिकारियों के सामने दावा किया कि आध्या ने निर्यात कारोबार में प्रवेश करने के उद्देश्य से दुबई स्थित कंपनी बनाई थी. हालांकि, सूत्रों ने कहा, ईडी के अधिकारियों ने क्रॉस-चेकिंग में एकमात्र संदर्भ पाया जहां कंपनी का नाम दुबई स्थित बैंक खाते के माध्यम से विदेशी मुद्राओं में किए गए कुछ फर्जी लेनदेन के संबंध में सामने आया था.
यहीं पर ईडी के अधिकारियों को पूरा यकीन हो गया कि उक्त कॉर्पोरेट इकाई मूल रूप से घोटाले की आय को बाहर ले जाने के उद्देश्य से सीमित अवधि के लिए बनाई गई एक शेल कंपनी थी. पश्चिम बंगाल में मनी लॉन्ड्रिंग के विभिन्न मामलों में जांच की शुरुआत के बाद से ईडी के अधिकारियों ने फंड डायवर्जन के उद्देश्य से शेल कंपनियों के उपयोग की व्यापकता पर ध्यान दिया है. ऐसी संस्थाओं के निदेशक मुख्य रूप से घोटाले के मास्टरमाइंडों के करीबी रिश्तेदार या सहयोगी होते हैं, जिनमें से कुछ पहले से ही सलाखों के पीछे हैं.