रियो डी जेनेरियो, 18 नवंबर (आईएएनएस). प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रियो डी जनेरियो में जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल हुए दुनिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत की सफलता का मुख्य कारण उनकी सरकार का 'बुनियादी बातों की ओर वापस लौटना' तथा 'भविष्य की ओर बढ़ना' का दृष्टिकोण है. दो दिवसीय 19वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बेसाइड म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में 'सामाजिक समावेशन और भूख तथा गरीबी के खिलाफ लड़ाई' विषय पर जी-20 सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन में लिए गए "जन-केंद्रित निर्णयों" को ब्राजील की अध्यक्षता के दौरान आगे बढ़ाया गया है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, "यह बहुत संतोष की बात है कि हमने सतत विकास लक्ष्यों को प्राथमिकता दी. हमने समावेशी विकास, महिला नेतृत्व वाले विकास और युवा शक्ति पर ध्यान केंद्रित किया और वैश्विक दक्षिण की आशाओं और आकांक्षाओं को पंख दिए. यह साफ है कि एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य, इस शिखर सम्मेलन में भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि पिछले साल था."
जी20 शिखर सम्मेलन को पीएम मोदी ने किया संबोधित
India believes in the approaches of ‘Back to Basics’ and ‘March to Future.’ That is why we are emphasising on organic farming, popularising millets (known as Shree Anna in India) and encouraging climate-resilient crop varieties.
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2024
पीएम मोदी ने भारत के अनुभवों और सफलता को शेयर करते हुए कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है. 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को फ्री में अनाज दिया जा रहा है. दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना से 55 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं. अब 70 साल से ज़्यादा उम्र के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिक भी मुफ़्त स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकेंगे.
महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास और सामाजिक समावेशन पर अपना ध्यान केंद्रित रखते हुए, 30 करोड़ से ज्यादा महिला सूक्ष्म उद्यमियों को बैंकों से जोड़ा गया है और उन्हें ऋण तक पहुंच प्रदान की गई है.
विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना के अंतर्गत 4 करोड़ से अधिक किसानों को 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर का का लाभ मिला है. किसान योजना के तहत 11 करोड़ किसानों को 40 बिलियन डॉलर से अधिक की सहायता दी गई है. किसानों को 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संस्थागत (इंस्टीट्यूशनल) ऋण दिया जा रहा है."
उन्होंने कहा कि भारत न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है बल्कि पोषण पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है.
पीएम मोदी ने कहा, "सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 अभियान एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है, जो विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, छह वर्ष तक के बच्चों और किशोरियों के पोषण पर ध्यान केंद्रित करता है. मिड डे मील योजना के माध्यम से स्कूल जाने वाले बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है."
पीएम नरेंद्र मोदी ने विश्व नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी योगदान दे रहा है. प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने हाल ही में मलावी, जाम्बिया और जिम्बाब्वे को मानवीय सहायता प्रदान की है. हमारी सफलता का मुख्य कारण हमारा दृष्टिकोण; 'बुनियादी बातों की ओर वापस लौटना' और 'भविष्य की ओर बढ़ना' है. हमने श्री अन्न या बाजरा को बढ़ावा देकर टिकाऊ कृषि, पर्यावरण संरक्षण, पोषण और खाद्य सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया है
भारत ने 2000 से अधिक जलवायु अनुकूल फसल किस्में विकसित की हैं और 'डिजिटल कृषि मिशन' भी शुरू किया है, वहीं डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के माध्यम से सामाजिक और वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा दिया है. उन्होंने कहा, "आकांक्षी जिलों और ब्लॉकों की परियोजना के साथ हमने समावेशी विकास के लिए एक नया मॉडल तैयार किया है जो सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत करता है."
प्रधानमंत्री ने कहा कि हम भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन के लिए ब्राजील की पहल का समर्थन करते हैं. यह नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में अपनाए गए खाद्य सुरक्षा के लिए डेक्कन उच्च स्तरीय सिद्धांतों के लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
वैश्विक मंच पर एक बार फिर विकासशील देशों का पक्ष रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वैश्विक संघर्षों के की वजह से खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट से वैश्विक दक्षिण के देश सबसे अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित हैं.
उन्होंने कहा, "हमारी बातचीत तभी सफल हो सकती हैं जब हम वैश्विक दक्षिण की चुनौतियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखेंगे. जिस तरह हमने नई दिल्ली शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थायी सदस्यता प्रदान करके वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद किया, उसी तरह हम वैश्विक शासन की संस्थाओं में सुधार करेंगे. मुझे विश्वास है कि अगले सत्र के दौरान इस विषय पर और भी अधिक विस्तृत, सकारात्मक बातचीत होगी.
19 सदस्य देशों और यूरोपीय संघ के नेताओं के अलावा, इस शिखर सम्मेलन में पहली बार अफ्रीकी संघ की भी भागीदारी हो रही है, जिसे पिछले वर्ष नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान समूह का पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया था.
ब्राजील ने 18 अतिथि देशों को भी आमंत्रित किया है, जिनमें अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया से पांच-पांच देश और यूरोप से तीन देश शामिल हैं. रियो शिखर सम्मेलन में 15 अंतरराष्ट्रीय संगठन भी हिस्सा ले रहे हैं.