NRC: 31 अगस्त को जारी होगा असम एनआरसी का फाइनल ड्राफ्ट, लिस्ट में नाम नहीं होने पर ये है ऑप्शन
असम एनआरसी (Photo Credits: PTI)

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने असम (Assam) में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा 31 अगस्त तय की है यानी राज्य के निवासियों की अंतिम सूची (Final List) शनिवार को प्रकाशित की जाएगी. बता दें कि छह दिसंबर 2013 को सरकार ने पहली बार अधिसूचना जारी करते हुए एनआरसी की समूची प्रक्रिया को पूरी करने के लिए तीन साल की समय सीमा निर्धारित की थी. हालांकि, उसके बाद से एनआरसी को अपडेट करने के लिए इसकी समय सीमा छह बार बढ़ाई गई है, लेकिन यह अब तक पूरी नहीं हो सकी है.

जब एनआरसी का मसौदा पिछले साल 30 जुलाई को पहली बार प्रकाशित हुआ था तब काफी विवाद पैदा हुआ था क्योंकि इसमें 40 लाख से अधिक लोगों को शामिल नहीं किया गया था.

एनआरसी क्या है-

एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस को सरल भाषा में असम में रह रहे भारतीय नागरिकों की एक सूची के तौर पर समझ सकते हैं. एनआरसी बांग्लादेश से सटे पूर्वोत्तर राज्य असम के निवासियों की पहचान और अवैध प्रवासियों को निर्वासित करने के लिए तैयार किया जा रहा है. यह भी पढ़ें- बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में NRC लागू करने की मांग लोकसभा में उठाई, कहा- अपराध की कई घटनाओं में बांग्लादेशी, रोहिंग्या शामिल.

अगर एनआरसी में नाम नहीं हुआ तो क्या होगा-

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि किसी शख्स का एनआरसी में नाम शामिल न होने से वह विदेशी घोषित नहीं हो जाता है. अंतिम एनआरसी सूची में छूटे प्रत्येक व्यक्ति विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण में अपील कर सकते हैं. इसके लिए विदेशी ट्रिब्यूनल्स की संख्या को बढ़ाया जा रहा है.

नाम छूटने का मतलब विदेशी नागरिक नहीं- सरकार

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एनआरसी को लेकर विभिन्न आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी की अंतिम सूची में नाम नहीं होने का मतलब स्वत: किसी व्यक्ति का विदेशी नागरिक घोषित हो जाना नहीं है. एनआरसी में नाम शामिल नहीं होने के खिलाफ अपील के पर्याप्त प्रबंध किए गए हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह एनआरसी से बाहर होने वालों के लिए विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण में अपील दायर करने की समय सीमा 60 दिन से बढ़ाकर 120 करने के लिए नियमों में संशोधन करेगा. मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि विदेशी नागरिक कानून 1946 और विदेशी नागरिक (न्यायाधिकरण) आदेश 1964 के प्रावधानों के तहत विदेशी नागिरक न्यायाधिकरण के पास ही किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है.

असम सरकार जरूरतमंदों को देगी मुफ्त कानूनी सहायता-

असम सरकार ने कहा है कि वह उन ‘जरूरतमंद’ लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करेगी जिनके नाम एनआरसी सूची में नहीं होंगे. इसके साथ ही सरकार ने उन वास्तविक भारतीयों के डर को दूर करने की कोशिश की जिन्हें अपनी नागरिकता खोने की आशंका है. सरकार के अलावा, राज्य में सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस ने भी ऐसे नागरिकों को सहायता मुहैया कराने की घोषणा की है जिनके नाम एनआरसी से बाहर रख गए हैं. कानूनी सहायता का वादा लोगों की आशंकाओं की पृष्ठभूमि में आया है. लोगों को डर है कि उनका नाम एनआरसी से बाहर रह जा सकता है. असम में कई लोग एनआरसी को सुरक्षा कवच मानते हैं.