African Swine Fever: त्रिपुरा में अफ्रीकी स्वाइन फीवर की दस्तक, इलाके के सभी सूअरों को मारने का आदेश, भारत में पहले भी मचा चूका है तबाही
त्रिपुरा में अफ्रीकी स्वाइन फ्लू का कहर (Photo Credits: Twitter)

अगरतला: कोरोना वायरस महामारी के बीच देश के पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा (Tripura) में ‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ (एएसएफ) की दस्तक से प्रशासन और आम जनमानस की चिंता बढ़ गई है. राज्य में इस नए किस्म के स्वाइन फ्लू फीवर की चपेट में कई सूअर आ चुके है. इसके फैलने के डर से प्रशासन चौकन्ना हो गया है और संक्रमितों के साथ-साथ क्षेत्र के सभी सूअरों को मारने का काम शुरू कर दिया है. मिजोरम में पांच महीनों में अफ्रीकी स्वाइन फीवर से 25 हजार सुअरों की मौत, 121 करोड़ रुपये का नुकसान

त्रिपुरा पशु संसाधन विकास विभाग निदेशक के शशि (K Shashi) ने बताया कि 87 सूअरों के नमूनों की जांच की गई है, जिनमे से तीन अफ्रीकी स्वाइन बुखार (African Swine Fever) से संक्रमित पाए गए है. उन्होंने कहा “हम इसके केंद्र से 1 किमी के भीतर मौजूद सभी सूअरों को मार देंगे और 10 किमी क्षेत्र को निगरानी क्षेत्र घोषित करेंगे. इसकी अधिसूचना जारी कर दी है और सूअरों को मारने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.”

उल्लेखनीय है कि भारत में अफ्रीकी स्वाइन फीवर का पहला मामला बीते साल मई महीने में असम में सामने आया था. तब शुरुआत में ही इससे 306 गांवों में 2,500 से अधिक सूअरों की मौत हो गयी थी. वहीं, इसी साल मिजोरम में मार्च के अंत से पांच महीनों में एएसएफ से पीड़ित 25 हजार से अधिक सुअरों की मौत हुई है जिससे 121 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. जबकि विषाणुजनित रोग को और फैलने से रोकने के लिए राज्य के 11 जिलों में करीब दस हजार सुअरों को मार दिया गया.

केंद्र के नियमानुसार, एएसएफ से पीड़ित सुअरों को प्रशासन द्वारा मारे जाने की कार्रवाई की सूरत में ही मुआवजा देने का प्रावधान है. इसी साल मार्च महीने में अमेरिका ने भारत को अफ्रीकी स्वाइन फीवर से प्रभावित देशों की सूची में शामिल किया.

‘अफ्रीकी स्वाइन फीवर’ (एएसएफ) जंगली और घरेलू सुअर में होने वाला एक अत्यधिक संक्रामक रोग है. यह सुअरों में तेजी से फैल सकता है. विशेषज्ञों ने कहा कि एएसएफ मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नहीं है और यह सुअरों से मनुष्यों में नहीं पहुंच सकता है.