लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) की लखनऊ पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए एकअहम फैसला सुनाते हुए कहा कि आधार कार्ड (Aadhaar Card) कि नाम, लिंग, पता या जन्मतिथि के लिए निर्णायक सुबूत नहीं है. यदि आधार कार्ड में दी गयी इन सूचनाओं के बाबत किसी विवेचना के दौरान सवाल उठता है तो कार्ड बनवाते समय प्रस्तुत दस्तावेजों को जांच में पेश करना होगा.
न्यायमूर्ति अजय लाम्बा और न्यायमूर्ति राजीव सिंह की पीठ ने हाल में दिए गए एक फैसले में कहा कि साक्ष्य अधिनियम के तहत यह नहीं कहा जा सकता कि आधार कार्ड में दिए गए नाम, पता, लिंग और जन्मतिथि का विवरण उनके सही होने का ठोस सबूत है. इस विवरण पर अगर सवाल उठता है और खासतौर आपराधिक मामलों की जांच के दौरान जरूरत पड़ने पर इनकी पड़ताल की जा सकती है. यह भी पढ़े : मोदी सरकार का बड़ा फैसला, आधार कार्ड के लिए दबाव बनाने पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना, होगी 10 साल की जेल
बता दें कि अदालत ने बहराइच के सुजौली थाना में दर्ज एक मामले की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाल ही में यह आदेश दिया था.