अगरतला/आइजोल: नई दिल्ली स्थित राइट्स एंड रिस्क एनालिसिस ग्रुप (RRAG) ने मंगलवार को दावा किया कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में अंतर्राज्यीय सीमा विवाद में पिछले 42 साल के दौरान 157 लोग मारे गए, 361 घायल हुए और 65,729 लोग विस्थापित हुए हैं. बॉर्डर डिस्प्यूट्स इन द नॉर्थईस्ट : द रेजिंग वॉर विदिन शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, इसने कहा है कि ये आंकड़े एक तरफ असम (Assam) और राज्यों - अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh), मेघालय (Meghalaya), मिजोरम (Mizoram) और नगालैंड (Nagaland) के बीच सीमा विवाद को लेकर हुए संघर्षों में हुए हैं. यह आंकड़े 1979 से लेकर इस वर्ष 26 जुलाई के बीच के हैं. Assam-Mizoram Border Dispute: सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने कहा- मिजोरम के सांसद के खिलाफ प्राथमिकी वापस लेगा असम
आरआरएजी के निदेशक सुहास चकमा ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम और नगालैंड के मुख्यमंत्रियों को लिखे एक पत्र में कहा कि पीड़ित सभी भारत के नागरिक हैं और बढ़ती मानव हताहतों की संख्या स्थायी शांति-निर्माण के उपायों की ओर ध्यान आकर्षित करती है.
इन मौतों में से सबसे अधिक 136 मौत असम-नगालैंड विवाद के कारण हुई हैं. इसके बाद 10 मौत असम-अरुणाचल प्रदेशों के विवाद में, सात असम-मिजोरम विवाद में और चार असम-मेघालय विवाद में हुई है.
घायलों में से आधे से अधिक (184) असम-नगालैंड विवाद से हैं. इसके बाद असम-मिजोरम विवाद में 143, असम-मेघालय विवाद में 18 और असम-अरुणाचल प्रदेश विवाद में 16 लोग घायल हुए हैं.
चकमा ने कहा, राज्य आमतौर पर विवादों को सुलझाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हैं, लेकिन सीमाओं का निर्धारण एक कार्यकारी काम है. इसलिए, सर्वोच्च न्यायालय आमतौर पर सीमा आयोगों के गठन की सिफारिश करता है.
उन्होंने कहा, हालांकि, अगर कोई भी राज्य उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त सीमा आयोगों की सिफारिशों को स्वीकार नहीं करता है, तो बहुत कम प्रगति की जा सकती है. उन्होंने कहा कि अतीत में सीमा आयोगों की सिफारिशों को लगातार खारिज किया जाता रहा है. असम-मेघालय सीमा विवाद पर मेघालय ने न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ समिति, जिसने असम को लंगपीह से सम्मानित किया था, जबकि असम ने उन्हें स्वीकार कर लिया था.
उन्होंने आगे कहा, लेकिन, असम ने ही असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय सीमा आयोग की सिफारिशों को खारिज कर दिया था, जिसने अपनी 2014 की रिपोर्ट में विवादित भूमि के लगभग 70-80 प्रतिशत हिस्से को अरुणाचल प्रदेश के लिए हस्तांतरण करने की सिफारिश की थी.
केंद्र ने असम-नगालैंड सीमा विवाद को निपटाने के लिए दो सीमा आयोग - सुंदरम आयोग (1971) और शास्त्री आयोग (1985) का भी गठन किया था, लेकिन दोनों राज्यों ने उनकी सिफारिशों को खारिज कर दिया.
चमका ने कहा, मुद्दा कभी भी राज्यों की सीमाओं को खींचने के लिए प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की अनुपस्थिति रहा है. सीमाओं को सीमांकित करने और गृह मंत्रालय द्वारा सुझाए गए ऐसे विवादों को निपटाने के लिए उपग्रह मानचित्रण 1835 की शुरुआत में औपनिवेशिक अंग्रेजों द्वारा खींची गई सीमाओं के आधार पर क्षेत्रों पर दावों पर राजनीतिक इच्छाशक्ति का निर्माण नहीं कर सकता है.
मुख्यमंत्रियों से खुद की जिद या खुद को श्रेष्ठ दिखाने वाली प्रवृत्ति छोड़ने का अनुरोध करते हुए, आरआरएजी ने सिफारिश की कि केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकारें सीमा विवादों के अंतिम समाधान तक यथास्थिति बनाए रखें, क्षेत्रों के वास्तविक नियंत्रण की रेखा की पहचान करें और दोनों ओर से पुलिस तैनात करें, ताकि राज्यों में कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सके. किसी भी विवाद के संबंध में सीआरपीएफ के समन्वय के तहत काम करने की बात भी कही गई है.
अधिकार समूह ने दोनों पक्षों के विवादित क्षेत्रों के भीतर रहने वाले निवासियों के बायोमेट्रिक दस्तावेज का संचालन करने और पहचानपत्र जारी करने के साथ ही नए क्षेत्रों में निपटान को प्रतिबंधित करने के लिए संयुक्त गजट अधिसूचनाओं के माध्यम से उनके नाम घोषित करने का भी सुझाव दिया, जब तक कि दोनों पक्षों द्वारा सहमति न हो.
26 जुलाई को असम-मिजोरम सीमा पर अब तक की सबसे भीषण हिंसा में असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी और दोनों पड़ोसी राज्यों के करीब 100 नागरिक और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे.