कुछ दिन पूर्व रितेश देशमुख द्वारा होस्ट किये जा रहे एक कॉमेडी शो ‘केस तो बनता है’, के सेट से अभिषेक बच्चन नाराज होकर इसलिए चले गये थे, क्योंकि कॉमेडियन पारितोष त्रिपाठी ने अमिताभ बच्चन का मजाक उड़ाया था. इसके पीछे शो की टीआरपी मुद्दा था या कुछ और, लेकिन इस सच से इंकार नहीं किया जा सकता कि अभिषेक अपने पिता अमिताभ बच्चन से बहुत प्यार करते हैं और पूरा सम्मान देते हैं. अमिताभ बच्चन की 80वीं वर्षगांठ (11 अक्टूबर 1942) के अवसर पर अभिषेक बच्चन पिता से जुड़ी कुछ रोचक और प्रेरक स्मृतियां शेयर कर रहे हैं.
पा की फिल्मों के कट्टर आलोचक थे मैं और श्वेता!
मैं और श्वेता पा की हर रिलीज फिल्म कट्टर आलोचक थे. उनकी फिल्म रिलीज होती, और हम उनके ड्रेस, उनकी हेयर स्टाइल, उनके डांस, उनकी डायलॉग डिलीवरी, उनकी एक्टिंग आदि की पोस्टमार्टम करने बैठ जाते थे. कभी-कभी वे चिढ़ जाते थे, बच्चू जब कैमरा फेस करोगे तब पता चलेगा, आज उनकी बात समझ में आती है, लेकिन बावजूद इसके नई फिल्म रिलीज होने पर वे हमसे उसकी समीक्षा जरूर करवाते थे. मां बताती हैं कि हमारी एक पल की दूरी वे बर्दाश्त नहीं कर पाते थे. शूट से वापस आने पर सबसे पहले पा हमें तलाशते थे, नहीं मिलने पर बेचैन हो जाते थे.
तब दो नजरों से देखते थे पा मुझे और श्वेता को!
माँ बताती हैं थीं, श्वेता की शक्ल पा से मिलती है, लेकिन उनके व्यवहार की झलक मुझसे मिलती है. हम भाई बहन से पा के बात करने का तरीका भिन्न होता था. मुझे वे जिस नजर से देखते, उस नजर से श्वेता को नहीं देखते थे. मुझसे वह दोस्त की तरह पेश आते थे, कोई 'गर्लफ्रेंड' बनी क्या..? वे अपनी भी समस्या मुझसे शेयर करते थे. मैं भी खुल कर बात करता था, लेकिन श्वेता की कोई भी समस्या उन्हें उद्वेलित कर देती थी.
श्वेता भी उनकी सुरक्षा को लेकर सशंकित रहती थी. उन्हें रिस्की शॉट देने से रोकती थी. एक दिन बंगले के बाहर एक महिला जिद पकड़ कर बैठ गई, अमित जी से मिल कर ही जाउंगी. श्वेता घर पर ही थी, उसे लगा वह अजनबी औरत पा के साथ कुछ अनिष्ट ना कर दे. मैंने श्वेता को समझाया, तब उसने पा को उस महिला से मिलने की अनुमति दी, लेकिन इस दरम्यान वह 'पा' के साथ बनी रही.
मैं पा जैसा नहीं बन सकता
अमिताभ बच्चन अपने पिता (बाबूजी) को बहुत सम्मान देते थे. एक मध्यरात्रि (1993) में अमिताभ अपने बाबूजी को कंधों के सहारे जुहू स्थिति वेली व्यू नर्सिंग होम लेकर आये. यह देख वहां का उन्नींदा स्टाफ और स्वयं मैं हैरान रह गये. (मैं अपने रिलेटिव का इलाज करवा रहा था) उनके निजी चिकित्सक डॉ जयंत शाह बर्वे पहले से उपस्थित थे.
दमा से पीड़ित हरिवंशराय बच्चन के लिए नौकरों की पूरी फौज पीछे खड़ी थी, लेकिन सहारा स्वयं अमिताभ ने दिया था. इस घटना की चर्चा एक मुलाकात में जब मैंने अभिषेक से की और पूछा कि वे अपने पिता को कितना प्यार करते हैं? अभिषेक का जवाब था, मैं अपने पा को जान से ज्यादा प्यार करता हूं, लेकिन मैं अमिताभ बच्चन जैसा आदर्श पुत्र बनने का दावा नहीं कर सकता.
अभिषेक 2 अगस्त को क्यों मनाते हैं पिता अमिताभ बच्चन का जन्मदिन?
बच्चन परिवार के लिए 26 जुलाई 1982 का दिन सबसे बुरा दिन माना जा सकता है. यही दिन था, जब बंगलोर में फिल्म कुली की शूटिंग के दरम्यान एक एक्शन सीन करते हुए अमिताभ बच्चन बुरी तरह घायल हो गये थे. कहा जाता है कि इस दुर्घटना में उन्हें जो चोट लगी थी, उसे देखते हुए डॉक्टरों ने उनके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी.
इस संदर्भ में चर्चा करते हुए एक बार अभिषेक ने बताया था कि उस समय उनकी उम्र यही कोई 7-8 साल की थी, डॉक्टर की आशा छोड़ने से हमारा पूरा परिवार निराश हो गया था, लेकिन लोगों की दुआओं का नतीजा रहा कि 2 अगस्त को डॉक्टर्स ने माना कि किसी चमत्कार ने अमिताभ बच्चन को दूसरी जिंदगी दी, इसके बाद से आज तक हम प्रत्येक 2 अगस्त को भी पा का जन्मदिन मनाते हैं.