Homo कौन थे? इजराइल में एक नयी रहस्यमयी मानव प्रजाति की खोज, लाखों साल पुरानी खोपड़ी भी मिली
ममी ( Photo Credit : Wikimedia Commons)

ब्रिसबेन (ऑस्ट्रेलिया), 25 जून : पुरातत्वविज्ञानियों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने मनुष्यों के विकास की कहानी के एक लापता हिस्से की खोज की है. इजराइल (Israel) के नेशेर रामला में खुदाई में एक खोपड़ी मिली है जो संभवत: एक अलग होमो आबादी के अंतिम बचे मानव का उदाहरण हो. यह आबादी करीब 4,20,000 से 1,20,000 साल पहले अब के इजराइल में रहती थी. इजराइल के अनुसंधानकर्ता हर्शकोवित्ज, योशी जेदनर और सहकर्मियों ने ‘साइंस’ में प्रकाशित अध्ययनों में बताया कि इस आदिकालीन मानव समुदाय ने कई हजार वर्षों तक निकटवर्ती होमो सैपियंस समूहों के साथ अपनी संस्कृति और जीन साझा किए. नए जीवाश्म खोपड़ी के पीछे के हिस्सों समेत अन्य टुकड़ों और लगभग एक पूरे जबड़े के विश्लेषण से पता चलता है कि यह जिस व्यक्ति का अवशेष है वह पूरी तरह होमो सैपियंस नहीं था. ये अवशेष 1,40,000-1,20,000 वर्ष पुराने हैं. न ही ये होमो वंश के विलुप्त सदस्य निएंडथरल मानव के थे.

ऐसा माना जाता है कि उस समय इस क्षेत्र में केवल अन्य इसी तरह का मानव रहता था. इसके बजाय यह व्यक्ति होमो के एक विशिष्ट समुदाय का लगता है जिसकी पहचान विज्ञान ने पहले कभी नहीं की. कई अन्य जीवाश्म मानव खोपड़ियों से विस्तारपूर्वक तुलना करने पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि खोपड़ी के पीछे की हड्डी ‘‘पुरातनकालीन’’ विशेषताओं वाली है जो शुरुआती और बाद के होमो सैपियंस से अलग है. यह हड्डी निएंडथरल और शुरुआती होमो सैपियंस में पायी हड्डियों के मुकाबले थोड़ी मोटी है. इसका जबड़ा भी पुरातनकालीन विशेषताओं वाला है लेकिन यह निएंडथरल में पाए जाने वाले जबड़ों जैसा है. हड्डियां आदिकालीन और निएंडथरल का विशिष्ट मिश्रण दिखाती है.

क्या इनके और भी लोग हैं?

लेखकों ने संकेत दिया कि इजराइल के अन्य स्थलों जैसे मशहूर लेडी ऑफ ताबून पर मिले जीवाश्म इन नयी मानव आबादी का हिस्सा हो सकते हैं. ‘‘लेडी ऑफ ताबून’’ की खोज 1932 में की गई थी. व्यापक अध्ययन करने पर इस महत्वपूर्ण अजीब मानव ने हमें निएंडथरल शरीर रचना और उनके व्यवहार के बारे में काफी कुछ सिखाया और ऐसे वक्त में जब हमें अपने पूर्वजों के बारे में बहुत कम पता है. अगर ताबून सी1 और कासिम तथा जूतियेह गुफाओं के अन्य जीवाश्म नेशेर रामला होमो समूह के सदस्य थे तो इस पुन: विश्लेषण में हमें अनुसंधानकर्ताओं द्वारा पूर्व में दिए गए शरीर रचना विज्ञान में कुछ विसंगतियों का पता चलेगा. यह भी पढ़ें : Uttar Pradesh: संभल में प्रेमिका की हत्या कर प्रेमी ने की खुदकुशी

रहस्यमयी नेशेर रामला होमो निएंडथरल के साथ हमारे हाल के साझा पूर्वज को दर्शा सकते हैं. दूसरे शब्दों में कहे तो अलग-अलग होमो आबादियों के बीच अंतर प्रजनन अधिक आम था जैसे कि पहले अंदाजा नहीं लगाया गया था. यहां तक कि टीम को नेशेर रामला स्थल पर पत्थर के करीब 6,000 औजार भी मिले. ये औजार उसी तरीके से बनाए गए जैसे कि होमो सैपियंस समूहों ने बनाए थे. इससे यह पता चलता है कि नेशेर रामला होमो और होमो सैपियंस न केवल जीन का आदान-प्रदान करते थे बल्कि औजार बनाने की तकनीक भी साझा करते थे. और वहां आग थी

इस स्थल पर पकड़े गए, मारे गए और वहां खाए गए पशुओं की हड्डियां भी मिली है. ये खोज दिखाती है कि नेशेर रामला होमो ने कछुओं, हिरन, औरोक्स, सूअर और शुतुरमुर्ग समेत कई प्रजातियां का शिकार किया. साथ ही वे अपना खाना पकाने के लिए आग जलाते थे जो जीवाश्मों के जितने ही वर्षों पुरानी कैम्पफायर की खोज से पता चलता है. निश्चित तौर पर नेशेर रामला होमो कैम्पफायर जलाने और आग बनाने के लिए न केवल लकड़ियां इकट्ठा करते थे बल्कि आग को नियंत्रित भी करते थे जैसा कि आज के लोग करते हैं. अभी कई सवालों का जवाब मिलना बाकी है जैसे कि अलग-अलग होमो समूह एक-दूसरे से कैसे बातचीत करते थे? इस अवधि में होमो आबादियों में होने वाले सांस्कृतिक और जीव विज्ञान संबंधी बदलावों के लिए इसका क्या मतलब है. इन सवालों के साथ काम जारी रखने से हमें अपने मानव इतिहास की बेहतर समझ बनाने में मदद मिलेगी.