लखीमपुर खीरी (उप्र), आठ जनवरी उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में एक पुलिस उपाधीक्षक का वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुआ है जिसमें वह कथित तौर पर पुलिस हिरासत में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों को मुआवजा देने और अपने सहकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने से इनकार करता नजर आ रहा है।
इस घटना का वीडियो समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने भी साझा किया है।
मृतक के परिजनों के मुताबिक, रामचंद्र (35) को ‘‘सोमवार की रात अवैध शराब बनाने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन पुलिस हिरासत में उसकी तबियत बिगड़ गई और उसे एक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई।’’
वीडियो में लखीमपुर के पुलिस उपाधीक्षक पीड़ित परिवार से यह कहते दिख रहे हैं, ‘‘ना तो निघासन थाना के एसएचओ (थाना प्रभारी) को निलंबित किया जाएगा और ना ही आपको 30 लाख रुपये मुआवजा मिलेगा। जो चाहे करो.. लाश चाहे जितने दिन रखो।’’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इस वीडियो को साझा करते हुए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को ‘‘निर्दयी पार्टी’’ करार दिया।
रामचंद्र के परिजनों एवं स्थानीय ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और पुलिस पर रामचंद्र की हत्या करने का आरोप लगाया। उन्होंने इस मामले की जांच किए जाने और 30 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक मृतक के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा।
परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस उनकी सहमति के बगैर शव को पोस्टमार्टम के लिए जबरदस्ती लेकर गई।
इन आरोपों पर जवाब देते हुए अपर पुलिस अधीक्षक पवन गौतम ने दावा किया कि रामचंद्र गैंगस्टर कानून के तहत आरोपी था और दबिश के दौरान भागने के दौरान उसकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि वह पुलिस हिरासत में नहीं मरा।
उन्होंने पोस्टमार्टम के बारे में कहा कि चिकित्सकों के एक पैनल ने पोस्टमार्टम किया और इसकी वीडियो रिकार्डिंग भी कराई गई।
उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मृत्यु का कारण सदमा लगना था और विसरा सुरक्षित रखा गया है।
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