भुवनेश्वर, 11 मई : भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा उड़ीसा उच्च न्यायालय (Orissa High Court) के समक्ष यह कहने के एक दिन बाद कि उसने राज्य सरकार को पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर के पास विरासत गलियारा परियोजना शुरू करने की अनुमति नहीं दी, विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ बीजद पर "अवैध" गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप लगाते हुए तीखा हमला किया है. एएसआई ने सोमवार को एक हलफनामे में उच्च न्यायालय को बताया कि ओडिशा सेतु एवं विनिर्माण निगम लिमिटेड (ओबीसीसी) के अधिकारियों, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के साथ संयुक्त निरीक्षण और मौके पर चर्चा के दौरान पाया गया कि श्रीमंदिर परिक्रमा गलियारा (कॉरिडोर) परियोजना के लिए सक्षम अधिकारियों द्वारा जारी कोई वैध अनुमति या अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं था.
संगठन ने इसपर पर भी गौर किया कि इस बात की पूरी संभावना थी कि खुदाई या मिट्टी हटाने के दौरान ओबीसीसी ने विरासत स्थल के पुरातात्विक अवशेषों को नष्ट कर दिया हो. भुवनेश्वर से भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, जिन्होंने पहली बार संसद में इस मुद्दे को उठाया था, ने ट्वीट किया, ''एएसआई द्वारा उड़ीसा उच्च न्यायालय में अपने हलफनामे के हिस्से के रूप में दायर संयुक्त निरीक्षण जानकारी पढ़ने योग्य है. राज्य सरकार के गलत काम एकदम स्पष्ट हैं.'' उन्होंने ट्वीट के साथ संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट भी संलग्न की. सारंगी ने यह भी कहा कि मंदिर से सटे बुनियादी ढांचे के निर्माण पर जनता का पैसा खर्च किया जा रहा है, कुछ ऐसा जो कम से कम 100 मीटर दूर किया जा सकता था. यह भी पढ़ें : दिल्ली उच्च न्यायालय ने वैवाहिक बलात्कार को अपराध घोषित करने के मामले पर खंडित फैसला सुनाया
उन्होंने कहा, ''अगर कल संरचनाओं को अवैध घोषित कर दिया जाता है, तो सैकड़ों करोड़ रुपये की बर्बादी के लिए कौन जिम्मेदार होगा, जो ओडिशा (लोगों) की मेहनत की कमाई है?" उन्होंने लिखा, "एएसआई द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा दायर करने के बाद, मुझे विश्वास हो गया है कि भगवान जगन्नाथ खुद को और अपने मंदिर को एक निर्वाचित राज्य सरकार से बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जो कानून का उल्लंघन करने पर आमादा है.'