नैनीताल, 10 जनवरी उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने आगामी नगर निकाय चुनावों के लिए जारी आरक्षण नियम 2024 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा।
न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया और सरकार को चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने को कहा।
इससे पहले, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि आरक्षण अधिसूचना जारी करते समय राज्य सरकार ने नियमों की अनदेखी की और अधिसूचना जारी होने के बाद उसी शाम चुनाव कार्यक्रम की भी घोषणा कर दी गयी।
याचिका में कहा गया कि इस कारण याचिकाकर्ताओं को आपत्ति का मौका नहीं मिल पाया।
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नियमों के तहत आरक्षण की घोषणा के बाद आपत्ति प्रकट करने का प्रावधान है और राज्य सरकार तथा निर्वाचन आयोग ने इस नियम का पालन नहीं किया।
याचिका में कहा गया कि दस हजार से कम अन्य पिछड़ा जाति और अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या वाली जगहों को आरक्षित नहीं किया जाना चाहिए जबकि इसकी बजाय इनकी ज्यादा जनसंख्या वाली सीट को आरक्षित किया जाना चाहिए।
याचिका के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जनजाति की कम जनसंख्या वाली अल्मोड़ा सीट को आरक्षित नहीं किया जाना चाहिए था बल्कि देहरादून और हल्द्वानी जैसी जगहों को आरक्षित किया जाना चाहिए था।
वहीं राज्य सरकार ने कहा कि पिछले वर्ष 20 सितंबर को अधिसूचित किए गए उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश नगर पालिका अधिनियम, 1916) संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, आरक्षण के ‘रोस्टर’ को पूरी तरह से लागू किया गया है।
राज्य सरकार ने यह भी दलील दी कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 टी के हिसाब से सीटों को आरक्षित किया गया है।
सरकार ने यह भी कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य नहीं है क्योंकि इसे चुनाव याचिका के रूप में दायर किया जाना चाहिए था।
मामले में अगली सुनवाई तीन मार्च को होगी।
राज्य के 11 नगर निगम, 43 नगर पालिका परिषद एवं 46 नगर पंचायतों का चुनाव 23 जनवरी को होगा जबकि मतगणना 25 जनवरी को होगी।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)