टीएमसी ने प्रधानमंत्री से कहा: एमपीलैड निधि न रोकी जाये, उसके सांसद पूरा वेतन देने के लिए तैयार

कोलकाता/नयी दिल्ली, आठ अप्रैल तृणमूल कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास निधि (एमपीलैड) पर रोक नहीं लगाने का अनुरोध किया। पार्टी ने उनसे पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा निधि के लिए ‘‘जायज मांगों’’ को लेकर केन्द्र को भेजे आठ पत्रों का जवाब देने का भी आग्रह किया।

लोकसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने वीडियो कांफ्रेंस के दौरान प्रधानमंत्री से बात की। प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को सदन में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की और कोरोना वायरस के कारण देश में उत्पन्न स्थिति और कोविड-19 का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की।

बंदोपाध्याय ने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री से पश्चिम बंगाल के लिए एक वित्तीय स्थगन (ऋण सेवा के लिए) का अनुरोध किया है। मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मांग के अनुसार राज्य को 25 हजार करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज दिया जाये। मैंने उनसे एमपीलैड निधि को स्थगित नहीं किये जाने का भी अनुरोध किया और उनसे कहा कि हम अपना पूरा वेतन देने के लिए तैयार हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सांसदों के पास जमीनी स्तर पर जाने और क्षेत्र के विकास के लिए मदद करने की अच्छी गुंजाइश होती है। राज्य भी इससे काफी लाभान्वित होता है। सांसदों द्वारा अपने वेतन को पूरी तरह से छोड़ देना 30 फीसदी वेतन कम करने की तुलना में अधिक बड़ा कदम होता। हमारी मुख्यमंत्री सरकारी खजाने से वेतन नहीं लेती हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से मुझसे यह बताने को कहा है।’’

उन्होंने कहा कि एमपीलैड निधि से जमीनी स्तर पर विकास करने के लिए जनप्रतिधिनियों को मदद मिलती है और इसे नहीं रोका जाना चाहिए।

सरकार ने कोरोना संकट के मद्देनजर सांसदों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती करने और सांसद निधि को दो साल के लिए स्थगित किये जाने का फैसला किया था। एमपीलैड के तहत यह धनराशि दो वर्षों 2020-21 और 2021-22 के लिए लगभग 7,900 करोड़ रुपये है।

सूत्रों ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को महामारी के कारण राज्य के सामने आई स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए 25 हजार करोड़ रुपये जारी करने की मांग को लेकर पत्र लिखे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस धनराशि पर सहानुभूति के साथ विचार किया जाना चाहिए और यह राशि हमें दी जानी चाहिए। हमारे वित्त मंत्री समेत हमने मार्च 2020 तक के जीएसटी बकाये के लिए केन्द्रीय वित्त मंत्री को आठ पत्र लिखे हैं।’’

उन्होंने सरकार से राजकोषीय सीमा को तीन से बढ़ाकर पांच प्रतिशत करने का भी आग्रह किया।

बंदोपाध्याय ने न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी बल्कि देश में आवश्यक चिकित्सा उपकरणों की कमी का मुद्दा भी उठाया।

तृणमूल कांग्रेस के नेता ने कहा कि दिहाड़ी मजदूरों के लिए वेतन पैकेज की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्रियों से भी चर्चा की जानी चाहिए क्योंकि वे कोरोना वायरस से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है और कोई भी फैसला लेने से पहले उन्हें विश्वास में लिया जाना चाहिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात के मुद्दे पर सरकार के रूख को स्पष्ट करने के लिए भी कहा। उन्होंने कहा कि यह दवा अन्य देशों को तभी दी जानी चाहिए जब यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि भारत के पास, इसका अपनी जरूरत के अनुसार पूरा भंडार मौजूद है।

तृणमूल कांग्रेस ने इससे पहले कहा था कि वह प्रधानमंत्री के साथ बुधवार को होने वाली बैठक में शामिल नहीं होगी लेकिन बाद में उसने अपना फैसला बदल लिया।

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