नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक स्तर पर ऐसी रूपरेखा तैयार करने की जरूरत है, जिसमें कृत्रिम मेधा और प्रौद्योगिकी के नैतिक उपयोग के लिए स्पष्ट निर्देश दिए गए हों।
उन्होंने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में सुरक्षा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
प्रधानमंत्री ने यहां अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (डब्ल्यूटीएसए) और इंडिया मोबाइल कांग्रेस के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि जिस तरह विमानन क्षेत्र के लिए वैश्विक समुदाय ने एक व्यापक रूपरेखा तैयार की है, उसी तरह डिजिटल दुनिया को भी नियमों तथा विनियमों की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं को एक साथ मिलकर यह तय करना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं।
मोदी ने कहा, ''समय आ गया है जब वैश्विक संस्थाओं को डिजिटल प्रौद्योगिकी के लिए नियम-आधारित रूपरेखा के महत्व को स्वीकार करना होगा।''
उन्होंने कहा, ''डिजिटल नियम केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं हैं क्योंकि उनमें व्यक्तिगत गोपनीयता, मीडिया में गलत सूचना, प्रौद्योगिकी दिग्गजों की जवाबदेही और सामाजिक महत्व के अन्य मुद्दे शामिल हैं, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार डेटा के अंतरराष्ट्रीय प्रवाह पर निर्भर करता है।''
प्रधानमंत्री ने कहा कि डिजिटल उपकरण और अनुप्रयोग किसी भी भौतिक सीमा से परे हैं और कोई भी देश अकेले अपने नागरिकों को साइबर खतरे से सुरक्षित नहीं रख सकता है। ''इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा। वैश्विक संस्थाओं को जिम्मेदारी लेनी होगी।''
मोदी ने सुरक्षा, सम्मान और समानता को केंद्र में रखते हुए कृत्रिम मेधा (एआई) के नैतिक इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने विधायिका से ऐसे मानक बनाने का आग्रह किया जो समावेशी, सुरक्षित और भविष्य की चुनौतियों के अनुकूल हों, जिसमें नैतिक एआई और निजी जानकारी की गोपनीयता मानक शामिल हैं।
मोदी ने कहा कि संघर्षों से त्रस्त दुनिया में आम सहमति और संपर्क की आवश्यकता है और भारत दुनिया को संघर्ष से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, ''चाहे वह प्राचीन रेशम मार्ग हो या आज का प्रौद्योगिकी मार्ग, भारत का एकमात्र मिशन दुनिया को जोड़ना और प्रगति के नए द्वार खोलना है।''
प्रधानमंत्री ने नयी दिल्ली के भारत मंडपम में अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ - विश्व दूरसंचार मानकीकरण सभा (डब्ल्यूटीएसए) 2024 का उद्घाटन किया।
उन्होंने कार्यक्रम के दौरान इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 के 8वें संस्करण का भी उद्घाटन किया। उन्होंने इस अवसर पर एक प्रदर्शनी को भी देखा।
मोदी ने मौजूद तकनीकी क्रांति के लिए मानव-केंद्रित आयाम की जरूरत पर जोर दिया तथा जिम्मेदार और टिकाऊ नवाचार का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि आज के मानक भविष्य की दिशा तय करेंगे और इसलिए सुरक्षा, सम्मान और समानता के सिद्धांत हमारी चर्चाओं के केंद्र में होने चाहिए।
मोदी ने कहा कि हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि कोई भी देश, कोई भी क्षेत्र और कोई भी समुदाय इस डिजिटल परिवर्तन में पीछे न छूटे।
उन्होंने कहा, ''जब दूरसंचार और इससे जुड़ी तकनीकों की बात आती है तो भारत सबसे ज्यादा सक्रिय देशों में से एक है।''
भारत की उपलब्धियों को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 120 करोड़ मोबाइल फोन उपयोगकर्ता, 95 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। देश में पूरी दुनिया के 40 प्रतिशत से ज्यादा डिजिटल लेनदेन होते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत ने दिखाया है कि कैसे डिजिटल संपर्क अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी उपकरण बन गया है।
भारत के अनुभव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि तेजी से क्रियान्वयन के बाद अब देश भर में अधिकतर स्थानों पर 5जी दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध हैं और 6जी पर काम पहले ही शुरू हो चुका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में भारत मोबाइल फोन का आयातक से निर्यातक बन गया है। उसने पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी से आठ गुना अधिक दूरी का ऑप्टिक फाइबर नेटवर्क बिछाया है।
उन्होंने कहा कि 2014 में प्रस्तुत भारत का डिजिटल विजन चार स्तंभों.... उपकरणों को सस्ता बनाना, सभी तक संपर्क सुविधा देना, किफायती डेटा और डिजिटल-फर्स्ट पर आधारित है।
मोदी ने कहा,‘‘ हमने डिजिटल संपर्क को अंतिम छोर तक आपूर्ति के लिए एक प्रभावी साधन बना दिया ’’
उन्होंने कहा कि भारत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के सफल निर्माण के अपने अनुभव को शेष विश्व के साथ साझा करने का इच्छुक है।
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