नयी दिल्ली, 21 दिसंबर भारत में ऊंटों की संख्या में भारी कमी आ रही है और इस संदर्भ में तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है। एक शीर्ष पशुपालन अधिकारी ने यह बात कही है और पारंपरिक चरवाहे समुदायों को अधिक समर्थन का आह्वान किया है।
पशुपालन और डेरी विभाग (डीएएचडी) की सचिव अलका उपाध्याय ने शुक्रवार को राजस्थान के बीकानेर में ऊंटनी के दूध उत्पादन पर आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यशाला में ऊंटों को बचाने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि उन्होंने राष्ट्रीय पशुधन मिशन को चरागाह के संरक्षण और ऊंटों को पालने वाले चरवाहा समुदायों का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने प्रमुख हितधारकों की बैठक में यह बात कही, जिसमें ऊंट पालकों और डेरी उद्योग के प्रतिनिधियों समेत 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य भारत के ऊंट दूध क्षेत्र को मजबूत बनाना है।
यह बैठक संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2024 को अंतरराष्ट्रीय ऊंट वर्ष घोषित करने के समय हुई।
भारत में एफएओ के प्रतिनिधि ताकायुकी हागिवारा ने कहा,‘‘खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) भारत में गैर-गोवंश दूध मूल्य श्रृंखला को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य सतत विकास के लिए नए अवसरों को खोलना, आजीविका को बढ़ाना और गैर-गोवशं दूध के पोषण और चिकित्सीय लाभों को बढ़ावा देना है।’’
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