मुंबई, छह अक्टूबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। खुदरा मुद्रास्फीति के अब भी लक्ष्य से ऊंचा रहने के बीच केंद्रीय बैंक ने यह कदम उठाया है।
केंद्रीय बैंक ने साथ ही महंगाई को लक्ष्य के दायरे में लाने के लिए जरूरी होने पर बॉन्ड बिक्री के जरिये बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकालने की भी बात कही।
रेपो दर के 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बुधवार से शुरू हुई तीन दिन की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने परिस्थितियों पर गौर करने के बाद आम सहमति से रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर कायम रखने का फैसला किया। साथ ही एमपीसी उदार रुख को वापस लेने के लिए काम करती रहेगी।’’
यह लगातार चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है, जब रेपो दर को यथावत रखा गया है।
रेपो वह ब्याज दर है, जिसपर वाणिज्यिक बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में रखने के लिये इसका उपयोग करता है।
दास ने कहा कि उच्च मुद्रास्फीति वृहद आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि के लिये एक बड़ा जोखिम है। ‘‘हमारा पूरा ध्यान टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने पर है।’’
उन्होंने कहा कि हमने पूर्व में रेपो दर में जो 2.5 प्रतिशत की कटौती की है, उसका पूरा असर अभी नहीं हुआ। इसको देखते हुए एमपीसी ने बैठक में रेपो दर को यथावत रखते हुए उदार रुख को वापस लेने के रास्ते पर बने रहने का निर्णय किया है।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति में तेजी के बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिये खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त महीने में सालाना आधार पर नरम होकर 6.83 प्रतिशत रही, जो जुलाई में 15 माह के उच्चस्तर 7.44 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। महंगाई का यह आंकड़ा आरबीआई के मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के लक्ष्य से अधिक है।
हालांकि, अच्छी बात मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति में नरमी है और यह पांच प्रतिशत के नीचे है। खुदरा मुद्रास्फीति में से अगर खाद्य और ईंधन की महंगाई हटा दिया जाता है, तो वह मुख्य मुद्रास्फीति कहलाती है।
दास ने यह भी कहा कि महंगाई को काबू में लाने के लिये जरूरी होने पर आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकालने को बॉन्ड बिक्री पर विचार कर सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘बॉन्ड बिक्री का समय और मात्रा उभरती नकदी स्थिति पर निर्भर करेगी।’’
केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के अनुमान को भी 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है।
दास ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति पर पैनी नजर बनी हुई है। इसका कारण न केवल इसके दहाई अंक में होना है, बल्कि सामान्य से कम मानसून और धीमी बुवाई को देखते हुए भी यह जरूरी है। इसका असर खरीफ उत्पादन और कीमतों पर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, जलाशय का कम स्तर रबी फसलों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
साथ ही, कच्चे तेल में पिछले कुछ समय में काफी अस्थिरता देखी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस समय जरूरत सतर्क रहने की है और आत्मसंतुष्टि के लिये कोई गुंजाइश नहीं है।’’
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि आर्थिक गतिविधियां मजबूत बनी हुई है। भारत दुनिया के लिये वृद्धि का इंजन बनने की ओर अग्रसर है।
उन्होंने कहा, ‘‘सब्जियों खासकर टमाटर के दाम में कमी तथा रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती से निकट भविष्य में महंगाई के नरम होने की उम्मीद है। हालांकि, भविष्य में मुद्रास्फीति की स्थिति कई कारकों पर निर्भर करेगी।’’
दास ने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के चालू तिमाही में घटकर छह प्रतिशत से नीचे और अगली तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि वृद्धिशील एनडीटीएल (शुद्ध मांग और समय देनदारियां) पर वृद्धिशील नकद आरक्षित अनुपात (आई-सीआरआर) में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की गयी थी। इससे बैंकों से लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये बाहर आये हैं। आई-सीआरआर की अवधि शनिवार को समाप्त हो जाएगी।
दास ने कहा, ‘‘आरबीआई सतर्क रुख अपनाएगा... हमें मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप नकदी का प्रबंधन करने के लिये खुले बाजार में बॉन्ड बिक्री गतिविधियों (ओएमओ) पर विचार करना पड़ सकता है। इस तरह के परिचालन के लिये समय और मात्रा उभरती नकदी की स्थिति पर निर्भर करेगी।’’
उन्होंने साफ कहा कि आरबीआई का मुद्रास्फीति का लक्ष्य चार प्रतिशत है न कि दो से छह प्रतिशत। हमारा उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर लक्ष्य के अनुरूप रखना है।
आरबीआई ने इसके अलावा कुछ अन्य उपायों की घोषणा की। इसमें शहरी सहकारी बैंकों के लिए ‘बुलेट’ पुनर्भुगतान योजना के तहत सोने के बदले कर्ज (गोल्ड लोन) को दोगुना कर चार लाख रुपये करना शामिल है।
साथ ही ग्राहक शिकायत निपटान व्यवस्था को मजबूत करने के मकसद से कुछ बदलाव करने और आंतरिक लोकपाल दिशानिर्देशों को एक मुख्य (मास्टर) दिशानिर्देशों के तहत लाने का फैसला किया गया है।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक छह से आठ दिसंबर, 2023 को होगी।
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