पुणे, 11 अप्रैल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चीन द्वारा देश के भूभाग पर ‘‘अतिक्रमण’’ के संबंध में उठाए जा रहे कदमों पर भी बोलना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अमेरिका की ‘न्यूजवीक पत्रिका’ को दिए गए साक्षात्कार के बारे में पूछे जाने पर, पूर्व रक्षा मंत्री पवार ने कहा कि मोदी ने 1974 में श्रीलंका को एक द्वीप (कच्चातिवु) सौंपने के लिए कांग्रेस की आलोचना की, लेकिन उन्हें (प्रधानमंत्री मोदी) ‘‘चीन द्वारा भारतीय भूभाग पर अतिक्रमण’’ को लेकर भी बोलना चाहिए।
पवार ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा हुई। मोदी भारत-चीन सीमा विवाद पर उठाए गए कदमों के बारे में बात नहीं कर रहे हैं।’’
मोदी का समर्थन करने के लिए राज ठाकरे की आलोचना करते हुए, पवार ने कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख ने पिछले 10-15 वर्षों में कई बार अपना रुख बदला है।
अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के प्रफुल्ल पटेल की इस टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि पवार भाजपा को समर्थन देने के लिए तैयार थे, लेकिन अंतिम क्षण में पीछे हट गए, शरद पवार ने पलटवार करते हुए कहा, ‘‘किसने पार्टी छोड़ी और कौन रुका रहा?’’
पटेल के इस दावे पर कि एच. डी. देवेगौड़ा ने 1996 में शरद पवार को प्रधानमंत्री पद की पेशकश की थी, शरद पवार ने कहा कि यह सच है लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि (संसद में) बहुमत नहीं था।
शरद पवार ने कहा, ‘‘यह मामला कांग्रेस और उसके सहयोगियों से संबंधित था। एक बैठक हुई थी जिसमें मेरा नाम सर्वसम्मति से प्रस्तावित किया गया था, लेकिन बहुमत नहीं था, इसलिए मुझे प्रस्ताव स्वीकार करना उचित नहीं लगा, इसलिए मैंने इसे विनम्रता से अस्वीकार कर दिया।’’
भाजपा के एक पदाधिकारी के राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) में शामिल होने के बाद पवार पत्रकारों से बात कर रहे थे।
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