इंफाल, 29 जून मणिपुर में कंगपोकपी जिले के हरओठेल गांव में बृहस्पतिवार की सुबह कुछ अज्ञात ‘‘दंगाइयों’’ ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और कुछ अन्य घायल हो गये। इस घटना के कारण क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया।
सेना की स्थानीय इकाई ने ट्वीट किया कि ‘‘अपुष्ट खबरों’’ से संकेत मिलता है कि घटना में कुछ लोग हताहत हुए हैं।
इस बीच आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि क्षेत्र से एक शव बरामद किया गया है और कुछ अन्य को जमीन पर पड़ा देखा जा सकता है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि जमीन पर पड़े हुए लोगों की मौत हो चुकी है या घायल हुए है क्योंकि इलाके में अभी भी गोलीबारी जारी है।
सेना के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर विवरण देते हुए कहा गया है कि सशस्त्र दंगाइयों ने सुबह साढ़े पांच बजे बिना उकसावे के गोलीबारी शुरू कर दी।
सेना की ‘‘स्पीयर कोर’’ के आधिकारिक हैंडल पर कहा गया है, ‘‘स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोकने के लिए क्षेत्र में तैनात सैनिक तुंरत जुट गये। सैनिकों ने दंगाइयों की गोलीबारी का सुव्यवस्थित तरीके से जवाब दिया। सैनिकों की त्वरित कार्रवाई के परिणामस्वरूप गोलीबारी बंद हो गई।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘अतिरिक्त टुकड़ियों को क्षेत्र में भेजा गया है। अपुष्ट खबरों से कुछ लोगों के हताहत होने का संकेत मिलता है। क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने की भी सूचना है। स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है।’’
सेना की ‘स्पीयर कोर’ ने शाम को एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘सुरक्षा बलों के अभियान में हस्तक्षेप करने के लिए क्षेत्र में लोगों की भीड़ को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया गया।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘शाम लगभग चार बजे, क्षेत्र में तैनात सैनिकों ने मुनलाई गांव के पूर्व से गोलीबारी की आवाज सुनी। इसके अलावा, शाम लगभग 5.15 बजे, राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय के दक्षिण में बेथेल गांव की दिशा से गोलीबारी की सूचना मिली।’’
यह क्षेत्र राजधानी इंफाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है।
गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं।
मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)