नयी दिल्ली, 14 मई : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केरल सरकार को आश्वासन दिया कि शुद्ध उधार की सीमा से जुड़े केंद्र के खिलाफ उसके वाद को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने पर विचार किया जाएगा. न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया कि मामला अत्यावश्यक है और इसे गर्मी की छुट्टियों के बाद सूचीबद्ध किया जाना चाहिए.
न्यायमूर्ति खन्ना ने सिब्बल से कहा, ''हम गौर करेंगे और सूचीबद्ध करने पर फैसला लेंगे.'' न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने एक अप्रैल को शुद्ध उधार की सीमा के मुद्दे को लेकर केरल सरकार द्वारा दायर वाद को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेज दिया था. हालांकि, शीर्ष अदालत ने केरल को कोई अंतरिम आदेश सुनाने से इनकार कर दिया था और कहा था कि राज्य ने अंतरिम आवेदन के लंबित रहने के दौरान "पर्याप्त राहत" हासिल कर ली है. यह भी पढ़ें : Kangana Ranaut On Women Empowerment: महिला सशक्तिकरण के लिए यह समय इतिहास में स्वर्णिम काल के रूप में लिखा जाएगा -कंगना रनौत-Video
केरल सरकार ने केंद्र पर "विशेष, स्वायत्त और पूर्ण शक्तियों" का इस्तेमाल करते हुए उधार पर सीमा लगाकर राज्य के वित्त को विनियमित करने में हस्तक्षेप का आरोप लगाया था. मामले को बड़ी वृहद पीठ के पास भेजते समय, शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 293 का उल्लेख किया था, जो राज्यों द्वारा उधार लेने से संबंधित है. अदालत ने कहा था यह प्रावधान अब तक शीर्ष अदालत द्वारा किसी भी आधिकारिक व्याख्या के अधीन नहीं है.