देश की खबरें | मणिपुर हिंसा: न्यायालय ने जांच की स्थिति को लेकर राज्य सरकार,सीबीआई और एनआईए से रिपोर्ट मांगी

नयी दिल्ली, 11 मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मणिपुर सरकार, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय अन्वेषण ब्यूरो (एनआईए) से जातीय हिंसा के मामलों की जांच की स्थिति और दायर आरोपपत्रों पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, ताकि यह निर्णय लेने में मदद मिल सके कि मुकदमा असम में चलाया जाए या मणिपुर में।

शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह पिछले दो महीनों में एक जिलाधिकारी के निवास पर हमले, हिंसक घटनाओं, सशस्त्र विरोध प्रदर्शनों, राजमार्गों को अवरुद्ध करने और हमले के मद्देनजर मणिपुर में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को निर्देश जारी नहीं कर सकती है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, “ये ऐसे मामले हैं, जहां यह अदालत निर्देश नहीं दे सकती। हम नागरिक संस्थाओं को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए निर्देश जारी नहीं कर सकते...कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकार है।’’

अदालत ने राज्य सरकार और जांच एजेंसियों की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से राज्य में हिंसा की हालिया घटनाओं पर न्यायमूर्ति गीता मित्तल समिति की हालिया रिपोर्ट पर निर्देश लेने को कहा।

न्यायमूर्ति मित्तल की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त तीन-न्यायाधीशों की समिति चाहती थी कि शीर्ष अदालत हिंसा की हालिया घटनाओं के बाद कुछ आदेश पारित करे।

अदालत ने समिति की ओर से पेश वकील से इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए अटॉर्नी जनरल को रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराने को कहा।

शीर्ष अदालत ने जांच की निगरानी के लिए गुवाहाटी के एक विशेष न्यायाधीश से प्राप्त पत्र का हवाला दिया, जिन्हें मणिपुर में हिंसा के मामले स्थानांतरित किए गए थे।

निचली अदालत के न्यायाधीश इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते थे कि क्या वह 25 अगस्त, 2023 को जारी शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुपालन में मणिपुर से गुवाहाटी स्थानांतरित किए गए मामलों में मुकदमे को आगे बढ़ा सकते हैं।

शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘‘जांच के संबंध में मणिपुर सरकार, एनआईए और सीबीआई द्वारा अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। स्थिति रिपोर्ट में अब तक दायर आरोपपत्र और अन्य मामलों में जांच के चरण का संकेत होना चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस पर फैसला करेंगे कि मुकदमा असम में चलना चाहिए या मणिपुर में। उन्होंने मणिपुर सरकार को भी जवाब दाखिल करने की अनुमति दी।

मणिपुर सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह चाहती हैं कि सुनवाई राज्य में हो, क्योंकि स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

शीर्ष अदालत इस मामले में दो सप्ताह बाद अगली सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 25 अगस्त को मणिपुर हिंसा के कई मामलों में सुनवाई को असम स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इन मामलों में उन दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न का मामला भी शामिल है, जिनको कथित तौर पर निर्वस्त्र करके घुमाने का एक वीडियो प्रसारित हुआ था।

इन मामलों की जांच सीबीआई द्वारा की जा रही है।

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