देश की खबरें | झारखंड: मतगणना के बाद के समीकरण साधने की तैयारी

(तस्वीरों के साथ)

रांची, 22 नवंबर झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद शनिवार को होने वाली मतगणना के लिये तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और राजनीतिक नेताओं और पार्टियों को उत्सुकता से परिणामों का इंतजार है। कल आने वाले नतीजे यह तय करेंगे कि झारखंड में अगली सरकार भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बनाएगा या झामुमो के नेतृत्व वाला गठबंधन एक बार फिर सत्ता पर काबिज होगा।

डाक मतपत्रों की गिनती सुबह आठ बजे शुरू होगी तथा रुझान सुबह नौ बजे तक आने शुरू हो जाएंगे।

इस बार मतदान रिकॉर्ड 67.74 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 15 नवंबर 2000 को राज्य के गठन के बाद से सबसे अधिक है।

निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, “23 नवंबर को होने वाली मतगणना के लिए तैयारियां जोरों पर हैं। सभी मतगणना केंद्रों पर मतगणना के व्यापक प्रबंध किए गए हैं और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग से पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं। डाक मतपत्रों की निष्पक्ष गणना सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक टेबल का नेतृत्व एक एआरओ करेंगे।”

अधिकारी ने कहा, “पूरी प्रक्रिया मीडिया और उम्मीदवारों या उनके एजेंटों की पूरी निगरानी में पारदर्शी तरीके से होगी, जिन्हें प्रक्रिया पर कड़ी नजर रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।” उन्होंने कहा कि मतगणना प्रक्रिया में पूर्ण पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ‘स्ट्रांग रूम’ को पर्याप्त सुरक्षा और वीडियो निगरानी से सुदृढ़ किया गया है।

अधिकारी ने बताया, “डाक मतपत्रों की गिनती सुबह आठ बजे शुरू होगी और रुझान सुबह नौ से सवा नौ बजे तक आने शुरू हो जाएंगे।”

प्रदेश में चुनाव दो चरणों में 13 और 20 नवंबर को हुए। कुल 81 सीटों में से 43 निर्वाचन क्षेत्रों में पहले चरण में मतदान हुआ, जबकि दूसरे चरण में 38 सीटों पर मतदान हुआ।

राज्य में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा नीत ‘इंडिया’ और भाजपा नीत राजग के बीच कड़ा चुनावी मुकाबला देखने को मिला, जिसमें झामुमो फिर सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रहा है, जबकि भाजपा सत्ताधारी गठबंधन से सत्ता छीनने के लिये प्रयासरत है।

कुछ एग्जिट पोल का अनुमान है कि भाजपा के नेतृत्व वाला राजग सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को सत्ता से बाहर कर देगा, जबकि अन्य का अनुमान है कि झारखंड में ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) की वापसी होगी। सभी की निगाहें उन प्रमुख सीटों पर होंगी जो प्रमुख राजनेताओं के चुनावी भाग्य का फैसला करेंगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बरहेट से, उनकी पत्नी कल्पना ने गांडेय से, जबकि विपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी (भाजपा) ने चंदनकियारी से चुनाव लड़ा है।

कुल 1,211 उम्मीदवार मैदान में थे, जिनमें धनवार में भाजपा के बाबूलाल मरांडी और नाला में झामुमो के रवींद्र नाथ महतो शामिल थे।

अन्य प्रमुख नेताओं में महागामा से कांग्रेस की दीपिका पांडे सिंह, जामताड़ा से सीता सोरेन (मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी), सिल्ली से ‘ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन’ (आजसू) प्रमुख सुदेश महतो और सरायकेला से पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन शामिल थे।

चुनाव प्रचार के दौरान राजग ने भ्रष्टाचार और घुसपैठ को लेकर झामुमो नीत गठबंधन पर हमला किया तथा जमानत पर बाहर आए मुख्यमंत्री सहित सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की आलोचना की।

दूसरी ओर, सत्तारूढ़ पक्ष ने कल्याणकारी योजनाओं के वादों और भाजपा नीत केंद्र सरकार पर प्रतिद्वंद्वी दलों के खिलाफ ईडी और सीबीआई को “उतारने” का आरोप लगाकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया।

हेमंत सोरेन ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि विपक्षी पार्टी ने उनके खिलाफ “दुर्भावनापूर्ण अभियान” पर 500 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों सहित शीर्ष भाजपा नेताओं ने व्यापक रैलियों को संबोधित किया, भ्रष्टाचार और घुसपैठ को लेकर झामुमो नीत गठबंधन पर हमला किया और सोरेन पर निशाना साधा, जिन्हें कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में पांच महीने जेल में बिताने पड़े थे।

उन्होंने हेमंत सोरेन के जून में जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाने को भी एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाया।

भाजपा ने “एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे” जैसे नारे का इस्तेमाल किया, जिस पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अंबानी जैसे अरबपतियों के बीच “एकता” को दर्शाता है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी एवं विधायक कल्पना सोरेन समेत ‘इंडिया’ के कई नेताओं ने भी बड़े पैमाने पर प्रचार किया।

अनुसूचित जनजाति (एसटी) उम्मीदवारों के लिए 28 और अनुसूचित जाति (एससी) के उम्मीदवारों के लिए नौ सीटें आरक्षित हैं।

राज्य में 2019 के चुनावों में, एसटी आरक्षित सीटों में से झामुमो ने 19, कांग्रेस ने छह, भाजपा ने दो और जेवीएम (पी) ने एक सीट जीती थी। एससी सीटों में से झामुमो 2, भाजपा 6 और राजद 1 सीट हासिल करने में कामयाब रही थी।

2019 के विधानसभा चुनावों में मुकाबला कांटे का रहा था, जिसमें झामुमो ने 30 सीटें जीतीं और भाजपा को 25 सीटें मिलीं, जबकि 2014 में उसे 37 सीटों पर जीत मिली थी। झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन 47 सीटों के साथ आसानी से बहुमत हासिल करने में सफल हुआ था।

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