जम्मू, 21 नवंबर जम्मू विकास प्राधिकरण ने जम्मू शहर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों की एक दर्जन दुकानों को कथित तौर पर बिना नोटिस जारी किए तोड़ दिया। प्राधिकरण की इस कार्रवाई का विभिन्न वर्गों ने विरोध किया और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को अतिक्रमण हटाओ अभियान शुरू किया गया जिसमें विस्थापित कश्मीरी पंडितों द्वारा तीन दशक पहले मुथी कैंप के पास बनाई गई दुकानों को निशाना बनाया गया।
उन्होंने बताया कि पुरानी दुकानें जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) की जमीन पर स्थित थीं।
राहत आयुक्त अरविंद करवानी ने स्थिति का आकलन करने के लिए इलाके का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को आश्वासन दिया कि इलाके में उनके लिए नयी दुकानें बनाई जाएंगी।
उन्होंने बताया, “ ये दुकानें जेडीए की जमीन पर थीं। राहत संगठन ने मुथी कैंप फेज-2 में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने के लिए टेंडर जारी किए हैं। जल्द ही दस दुकानें बनाकर इन दुकानदारों को आवंटित कर दी जाएंगी।”
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और अपनी पार्टी समेत राजनीतिक दलों तथा कई कश्मीर पंडित संगठनों ने जेडीए की कार्रवाई की निंदा की और विस्थापित समुदाय के लिए नयी दुकानों के निर्माण की मांग की ताकि उन्हें अपनी आजीविका बनाए रखने में मदद मिल सके।
दुकान के मालिक कुलदीप किसरू ने अपनी तोड़ी हुई दुकान की ओर इशारा करते हुए कहा, “बेहतर सुविधाएं और वित्तीय सहायता प्रदान कर हमें जीवित रहने में मदद करने के बजाय इस सरकार ने हमारी दुकानों को बुलडोजर से गिराकर हमारी रोटी भी छीन ली है।”
एक अन्य दुकानदार जाव लाल भट्ट ने कहा, “हम पूरी तरह से इन दुकानों से होने वाली कमाई पर निर्भर हैं। ऐसे में हम अपने परिवार का भरण-पोषण कैसे कर सकते हैं। हम उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री से आग्रह करते हैं कि वे हस्तक्षेप करें और हमें न्याय दिलाएं।”
भट्ट ने 1991 में टिन शेड वाली अपनी दुकान खोली थी।
एक अन्य दुकानदार जवाहर लाल ने इस तोड़फोड़ को ‘सरासर गुंडागर्दी’ करार दिया।
उन्होंने कहा, “हमें तोड़फोड़ के लिए कोई नोटिस नहीं दिया गया।”
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)