रियो डे जनेरो से जी20 की बैठकों के बाद जब जर्मन चांसलर बर्लिन लौटे तो देखा कि यहां अगले चुनाव में उनकी उम्मीदवारी को लेकर गंभीर चर्चा हो रही है. सत्ताधारी गठबंधन टूटने के बाद जर्मनी में मध्यावधि चुनाव होने वाले हैं.पिछले चुनाव में पार्टी के तौर पर एसपीडी के लिए आसार बहुत अच्छे नहीं थे. तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी सीडीयू के उम्मीदवार का एलान होते ही ओलाफ शॉल्त्स का ग्राफ ऊपर जाने लगा. नतीजे आए तो उनकी पार्टी को इतनी सफलता मिल गई थी कि गठबंधन सरकार का नेतृत्व और चांसलर का पद शॉल्त्स को मिले. हालांकि चांसलर बनने के बाद उनकी लोकप्रियता का ग्राफ नीचे जाने लगा और महज दो साल बाद ही वह जर्मनी के लोगों के दिल से उतर गए. अब हालत यह है किगठबंधन टूट चुका हैऔर देश में समय से पहले ही चुनाव होने जा रहे हैं. ओलाफ शॉल्त्स के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार फिलहाल अल्पमत में हैं.
उम्मीदवारी पर पार्टी में बहस
ओलाफ शॉल्त्स एक बार फिर से चांसलर की उम्मीदवारी पाने की इच्छा जता चुके हैं. हालांकि उनकी पार्टी इस बात को लेकर एकमत नहीं है. पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता लार्स क्लिंगबाइल ने भरोसा दिलाया है कि चांसलर पद के लिए पार्टी की उम्मीदवारी पर "जल्द फैसला" होगा. सर्वेक्षणों के नतीजे लगातार दिखा रहे हैं कि जर्मन वोटरों के बीच ओलाफ शॉल्त्स खासे अलोकप्रिय हो चुके हैं. क्लिंगबाइल का कहना है कि वह एसपीडी के नेताओं से उनका मूड भांपने के लिए विस्तृत बातचीत कर रहे हैं और अगले कुछ दिनों में एक उम्मीदवार पर सबको सहमत कर लेंगे. हालांकि उन्होंने शॉल्त्स के राजनीतिक भविष्य के बारे में फैसले के लिए कोई टाइमलाइन नहीं दी है.
तीन पार्टियों का सत्ताधारी गठबंधन टूटने के बाद अगले साल फरवरी में 23 तारीख को मध्यावधि चुनावहोने की संभावना है. सर्वेक्षण दिखा रहे हैं कि इस चुनाव में एसपीडी का प्रदर्शन ऐतिहासिक रूप से खराब रह सकता है. यही वजह है कि शॉल्त्स के दोबारा नेतृत्व की इच्छा जताने के बावजूद पार्टी में चांसलर की उम्मीदवारी पर बहस हो रही है.
शॉल्त्स के विकल्प पिस्टोरियस
एसपीडी में शॉल्त्स के विकल्प के रूप में जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो बोरिस पिस्टोरियस का है. पिस्टोरियस फिलहाल रक्षामंत्री का पद संभाल रहे हैं. शॉल्त्स के भरोसेमंद रहे पिस्टोरियस ने सीधे तौर पर शॉल्त्स को चुनौती देने से अब तक इनकार ही किया है हालांकि चांसलर की उम्मीवारी को लेकर पूछे सवालों को भी वो टालते रहे हैं. इसी हफ्ते एक कार्यक्रम के दौरान पिस्टोरियस ने मजाक किया कि वह सिर्फ एक ही बात से इनकार कर रहे हैं और वह है उनका अगला पोप चुना जाना.
पिस्टोरियस ने 19 जनवरी 2023 को जर्मनी के रक्षामंत्री का पद संभाला. यूक्रेन पर रूस के हमले के साये में यह ना सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप के लिए एक मुश्किल वक्त था. उसमें जब यूक्रेन को हथियारों की मदद देने की बात हुई तो जर्मन सेना की बदहाली सबसे सामने आ गई. ऐसे वक्त में पिस्टोरियस तेजी से हरकत में आए और यूक्रेन को मदद देने के साथ ही जर्मन सेना को मजबूत बनाने की कवायद शुरू हुई.
लोकप्रिय नेता बने पिस्टोरियस
जर्मन सेना को सक्षम बनाने के लिए आनन फानन में 100 अरब यूरो का फंड मिला. इसके साथ ही कई दशकों के बाद बड़े पैमाने पर लड़ाकू विमान, जंगी जहाज, टैंक और हैलीकॉप्टर जैसे सैनिक साजोसामान की खरीद शुरू हो गई. रिकॉर्ड समय में जर्मन सेना को ये साजोसामान मिलने शुरू भी हो गए. इसके अलावा हथियार बनाने वाली जर्मन कंपनियों को भी बड़े ऑर्डर मिल रहे हैं और यूक्रेन को भेजे जाने वाले हथियार और जर्मन सेना की जरूरतें पूरी करने में जुट गई हैं.
रक्षा मंत्री बनने के कुछ ही दिनों बाद पिस्टोरियस नासिर्फ कैबिनेट बल्कि, सेना और आम लोगों के बीच भी लोकप्रियता हासिल करने में सफल हुए हैं. लोअर सैक्सनी राज्य में हनोवर की गृहनगर सीट से सांसद का चुनाव लड़ रहे पिस्टोरियस ने इसी राज्य में राजनीतिक अनुभव हासिल किया और कई सालों तक राज्य के गृहमंत्री रहे. कानून की पढ़ाई करने वाले पिस्टोरियस राजनीति में आने से पहले वकालत किया है.
जल्द होगा फैसला
एसपीडी के कई नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं ने हाल के दिनों में शॉल्त्स से मांग की है कि वे पीछे हट जाएं और पिस्टोरियस का रास्ता साफ कर दें. इन नेताओं में पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर और पार्टी के पूर्व नेता जिग्मार गाब्रिएल भी हैं. क्लिंगबाइल ने जर्मन अखबार बिल्ड से बातचीत में कहा है कि उन्होंने एसपीडी के नेताओं और सदस्यों से निजी बातचीत में शॉल्त्स और पिस्टोरियस के बारे में अलग अलग राय सुनी है.
इसी हफ्ते क्लिंगबाइल समेत एसपीडी के अधिकारी बर्लिन में एक बैठक भी कर चुके हैं लेकिन इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका.एसपीडी के नेताओं में इस मुद्दे पर सहमति आने वाले दिनों में बनने के आसार हैं. एसपीडी का चुनावी अभियान 30 नवंबर से शुरू होने वाला है, इसके पहले इस बारे में फैसला हो जाने की उम्मीद है. हालांकि पार्टी के सदस्य आधिकारिक रूप से चांसलर के उम्मीवार को मंजूरी पार्टी सम्मेलन में 11 जनवरी को देंगे.
एनआर/आरपी (डीपीए)