Sunil Sethi aka Pinki Uncle Dies: दिल्ली यूनिवर्सिटी के ‘पिंकी अंकल’ नहीं रहे, छात्रों के दिलों में खालीपन छोड़ गए सुनील सेठी
Sunil Sethi | X/@shriram_tweets

Sunil Sethi aka Pinki Uncle Dies: दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में लगभग चार दशक से बसा एक छोटा-सा स्टॉल अब हमेशा के लिए बंद हो गया है. सुनील सेठी, जिन्हें प्यार से सभी “पिंकी अंकल” कहते थे उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. सुनील सेठी (Sunil Sethi) का 17 नवंबर को निधन हो गया. पिंकी अंकल (Pinki Uncle) का भेल पुरी स्टॉल सिर्फ एक खाने की जगह नहीं था, बल्कि छात्रों के लिए एक सुकून भरा कोना था, जहां पढ़ाई के तनाव से राहत मिलती थी.

चार दशक की यादें

करीब 40 सालों तक कैंपस लॉ सेंटर के पास उनका स्टॉल छात्रों का पसंदीदा अड्डा रहा. सिर्फ 60 रुपये की भेल पुरी के साथ उनकी गर्मजोशी, हंसी-मजाक और अपनेपन का स्वाद मिलता था. पिंकी अंकल का स्टॉल उन छात्रों के लिए खास था जो कम बजट में स्वादिष्ट और ताजा खाना चाहते थे. उनकी बातों में एक खास अपनापन होता था, जो हर किसी को अपना बना लेता.

नहीं रहे सुनील सेठी

फूड व्लॉगर्स ने बढ़ाई लोकप्रियता

पिंकी अंकल सिर्फ कैंपस तक सीमित नहीं रहे. सोशल मीडिया पर फूड व्लॉगर्स ने उनकी सादगी और हुनर को लोगों तक पहुंचाया. एक वीडियो को 1.3 करोड़ बार देखा गया, जिससे पिंकी अंकल पूरे देश में मशहूर हो गए. उनके संवादों और हास्य ने उन्हें सोशल मीडिया पर भी छात्रों और दर्शकों का चहेता बना दिया.

‘पिंकी अंकल’ के निधन पर छात्रों ने जताया शोक

छात्रों का सहारा और दोस्त

पिंकी अंकल सिर्फ एक विक्रेता नहीं थे; वे छात्रों के दोस्त, मार्गदर्शक, और कभी-कभी परिवार की तरह थे. जब छात्र पढ़ाई के तनाव से जूझते थे, उनका स्टॉल सुकून भरा ठिकाना बन जाता.

हर किसी के लिए उनका एक प्यारा-सा जोक या सलाह होती थी, जो उनके दिन को खास बना देती.

उनके जाने से छात्रों और कैंपस के लोगों के दिलों में एक गहरा खालीपन आ गया है. सोशल मीडिया पर छात्रों और पूर्व छात्रों ने उनकी याद में भावुक संदेश साझा किए. किसी ने लिखा, "पिंकी अंकल सिर्फ भेल पुरी नहीं बेचते थे, वे हमें जीने की छोटी-छोटी खुशियां सिखाते थे."

नहीं रहे भेलपुरी वाली अंकल

दिल्ली यूनिवर्सिटी का नॉर्थ कैंपस अब पहले जैसा नहीं रहेगा. पिंकी अंकल की सरलता और मुस्कान उनकी विरासत बनकर हमेशा छात्रों के दिलों में जिंदा रहेगी. उनका जाना न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि उन हजारों छात्रों के लिए भी एक बड़ी क्षति है, जो उनकी भेल पुरी के साथ उनके साथ बिताए पलों को हमेशा याद रखेंगे.