नयी दिल्ली,23जून विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रूस भारत चीन त्रिपक्षीय सम्मेलन में बहुपक्षीय व्यवस्था में साझेदारों के वैध हितों को मान्यता देने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकाचार का पालन करने की जरूरत पर जोर दिया।
चीन के विदेश मंत्री वांग गी की मौजूदगी में जयशंकर का यह बयान भारत और चीन के सौनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसा में भारत के 20 सैन्यकर्मियों के शहीद होने के बीच आया है।
विदेश मंत्री ने कहा,‘‘ यह विशेष बैठक अंतरराष्ट्रीय संबंधों के स्थापित सिद्धांतों पर हमारे विश्वास को दोहराती है। लेकिन वर्तमान में चुनौतियां अवधारणाओं और मानदंडों मात्र की नहीं हैं बल्कि उनके अमल की भी हैं।’’
उन्होंने कहा,‘‘ विश्व की प्रमुख आवाजों को हर तरीके से अनुकरणीय होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान ,साझेदारों के वैध हितों को मान्यता देना, बहुपक्षवाद को समर्थन देना और सभी के हितों को बढ़ावा देना ही टिकाऊ विश्व व्यवस्था के निर्माण का एकमात्र तरीका है।’’
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विदेश मंत्री के इस बयान को चीन के लिए अप्रत्यक्ष संदेश के रूप में देखा जा रहा है जो हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी गतिविधियां बढ़ाने के साथ ही भारत के साथ लगती सीमा पर भी मुश्किलें खड़ा कर रहा हैं।
जयशंकर ने अपने शुरुआती संबोधन में यह भी कहा कि भारत को द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के वैश्विक क्रम में वह मान्यता नहीं मिली जिसका वह हकदार था और इस ऐतिहासिक अन्याय को पिछले 75वर्षों में ‘‘सुधारा नहीं’’ गया है।
उन्होंने कहा,‘‘जब विजेता वैश्विक क्रम सुनिश्चित करने के लिए मिले तो उस वक्त की राजनीतिक परिस्थितियों ने भारत को उचित मान्यता नहीं दी और 75वर्षों से उस ऐतिहासिक अन्याय को दूर नहीं किया गया है।’’
उन्होंने कहा कि इसलिए यह जरूरी है कि विश्व भारत के योगदान को मान्यता दे और अतीत में हुई गलती को सुधारे।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया ताकि यह विश्व की वर्तमान हकीकत को प्रदर्शित कर सके।
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