इंदौर (मध्यप्रदेश), 26 नवंबर वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की काली सूची में शामिल ईरान ने यूरेशियन समूह (ईएजी) के जरिये भारत से तकनीकी मदद मांगी है ताकि वह एफएटीएफ के मानकों का पालन करके इस फेहरिस्त से बाहर निकल सके। केंद्र सरकार के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अतिरिक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने इंदौर में संवाददाताओं को बताया, ‘‘फिलहाल ईरान एफएटीएफ की काली सूची में शामिल है। चूंकि ईरान ईएजी से बतौर पर्यवेक्षक जुड़ा है, इसलिए उसने एफएटीएफ मानकों का पालन करने के संबंध में ईएजी से तकनीकी सहयोग मांगा है।’’
अग्रवाल ने बताया कि भारत और ईरान की द्विपक्षीय बैठक में पश्चिम एशिया के इस मुल्क ने भारत से भी इस विषय में मदद मांगी है।
उन्होंने बताया, “हमने ईरान को आश्वस्त किया है कि ईएजी के माध्यम से तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञ सलाह साझा करने में भारत अपनी तरफ से ईरान की मदद करेगा।’’
राजस्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि ईएजी और भारत मिलकर योजना बना रहे हैं कि ईरान को किस तरह तकनीकी मदद प्रदान की जा सकती है ताकि वह एफएटीएफ के मानकों का पालन कर सके।
अग्रवाल, ईएजी की इंदौर में चल रही 41वीं पूर्ण बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के तौर पर हिस्सा ले रहे हैं।
उन्होंने बताया कि एफएटीएफ के मानकों का पालन करने के संबंध में कई देशों ने भारत से मदद मांगी है और उनसे तकनीकी ज्ञान साझा किया जा रहा है। एफएटीएफ ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के उपायों को लागू करने के भारत के प्रयासों के आकलन के बाद देश को ‘नियमित फॉलो-अप’ की श्रेणी में रखा है। यह इस स्वतंत्र अंतर-सरकारी निकाय की दी जाने वाली उच्चतम रेटिंग है।
अग्रवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री जन-धन योजना जैसी वित्तीय समावेशन पहल, नागरिकों की पहचान से जुड़े आधार कार्ड के मजबूत तंत्र, कर चोरी रोकने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिए जाने सरीखे कदमों के कारण भारत को एफएटीएफ की उच्चतम रेटिंग हासिल करने में मदद मिली।
उन्होंने एक सवाल पर बताया कि केंद्र सरकार विचार कर रही है कि देश में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग का नियमन धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के उपायों के लिहाज से भी होना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धन का लेन-देन हो रहा है।
अग्रवाल, भारत के वित्तीय आसूचना एकक (एफआईयू) के निदेशक भी हैं।
उन्होंने बताया कि यह इकाई देश में धन के असामान्य लेन-देन की जांच करके वित्तीय अपराधों और कर चोरी का पता लगाने के लिए कृत्रिम मेधा (एआई) के टूल का इस्तेमाल कर रही है।
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