हमीरपुर, 26 नवंबर हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के लोगों ने भोटा क्षेत्र में राधा स्वामी सत्संग ब्यास की ओर से संचालित एक धर्मार्थ अस्पताल को कथित तौर पर बंद किए जाने के खिलाफ प्रदर्शन किया।
सोमवार को स्थानीय लोग उस समय सड़कों पर उतर आए, जब राधा स्वामी सत्संग ब्यास पंथ ने अस्पताल के मुख्य द्वार पर एक नोटिस लगाकर सूचित किया कि वह एक दिसंबर से अपनी सेवाएं नहीं दे पाएगा।
अस्पताल के प्रकाशक कर्नल (सेवानिवृत्त) जग्गी ने मंगलवार को कहा कि पंथ प्रबंधन से मिले आदेश के बाद मुख्य द्वार पर एक नोटिस चस्पां किया गया है। उन्होंने बताया कि भूमि हस्तांतरण के मुद्दे पर राज्य सरकार से फिलहाल कोई लिखित आश्वासन नहीं मिला है।
हमीरपुर-शिमला राजमार्ग पर स्थित 75 बिस्तर वाला यह अस्पताल मरीजों को मुफ्त चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराता है। इसका संचालन वर्ष 2000 से किया जा रहा है। यह 15 किलोमीटर के दायरे में लगभग एक लाख लोगों की चिकित्सकीय जरूरतों को पूरा करता है।
राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने राज्य सरकार से अस्पताल की जमीन अपनी सहयोगी संस्था को हस्तांतरित करने की मांग की है, लेकिन भूमि जोत सीमा अधिनियम के तहत इसमें कुछ समस्या है।
अस्पताल प्रबंधन चिकित्सा सुविधाओं को उन्नत करने के लिए मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में छूट हासिल करने के लिए भूमि हस्तांतरण की मांग कर रहा है।
जग्गी ने कहा कि उच्च अधिकारियों के अंतिम फैसले के बारे में लोगों को एक या दो दिन में सूचित कर दिया जाएगा, क्योंकि राज्य सरकार और ब्यास प्रबंधन अधिकारी इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत कर रहे हैं।
सोमवार को प्रदर्शनकारियों को यह कहते हुए शांत कराया गया कि प्रशासन ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि उनकी मांग पर विचार किया जा रहा है।
लोगों ने उपायुक्त हमीरपुर अमरजीत सिंह के माध्यम से प्रदेश सरकार को एक ज्ञापन भी सौंपा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को कहा कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास पंथ भोटा में धर्मार्थ अस्पताल की जमीन अपनी सहयोगी संस्था को देना चाहता है और राज्य सरकार भूमि हस्तांतरित करने के लिए हिमाचल प्रदेश भूमि जोत की अधिकतम सीमा अधिनियम-1972 में उचित प्रावधान करने के लिए एक अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है।
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार चाहती है कि राधा स्वामी सत्संग जैसी संस्थाएं लोगों की सेवा करें।
उन्होंने कहा, “इस संबंध में प्रावधान करने के लिए कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा और विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस मामले पर चर्चा की जाएगी। अगर कानून में कोई बदलाव करना होगा, तो वह भी किया जाएगा।”
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