बेंगलुरु,25 जनवरी कर्नाटक उच्च न्यायालय ने भारत के एक दंपति को हेग कंवेन्शन का पालन करने और अपने गोद लिए बच्चे के लिए जर्मनी के अधिकारियों से ‘अनुपालन प्रमाणपत्र’ हासिल करने का निर्देश दिया क्योंकि पति उस देश (जर्मनी) का नागरिक है।
दंपति ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और जिला बाल संरक्षण इकाई को उन्हें ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ (एनओसी) और ‘अनुपालन प्रमाणपत्र’ जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
दंपति ने एक बच्ची को गोद लिया था और बच्ची की जैविक मां तथा दंपति के बीच गोद लेने का विलेख (डीड) 29 मार्च 2023 को चिक्कबल्लापुरा में उप-रजिस्ट्रार के समक्ष पंजीकृत किया गया था।
उपायुक्त ने भी इस विलेख का सत्यापन किया था और गोद लेने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने की सिफारिश की थी, लेकिन जिला बाल संरक्षण इकाई ने उन्हें एनओसी और अनुपालन प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया।
इस याचिका पर सुनवाई न्यायाधीश एम नागप्रसन्ना ने की थी।
भारत के उप सॉलिसिटर जनरल एच शांति भूषण ने तर्क दिया कि हिंदू दत्तक ग्रहण एवं रखरखाव अधिनियम के तहत गोद लेना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य नहीं है और देशों के बीच गोद लेने की प्रक्रिया हेग कन्वेंशन के आधार पर की जानी चाहिए।
हेग कन्वेंशन के तहत दंपति को ‘‘पहले उस देश में जाना होगा जहां पिता रहते हैं, गोद लेने के नियमों के तहत भारतीय समकक्ष को एक मेल भेजना होगा और 10 दिनों के भीतर इस देश में एक प्रमाणपत्र और एनओसी जारी किया जाएगा।’’
जिरह के बाद उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि दंपति को हेग कंवेन्शन का पालन करना चाहिए।
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