अंबाला: भारत पहुंचा पांच राफेल लड़ाकू विमान, भारत की वायु शक्ति में करेंगे इजाफा
फाइटर प्लेन राफेल ( फोटो क्रेडिट- ANI )

अंबाला (हरियाणा), 30 जुलाई: भारत को पिछले करीब दो दशक में नये बहुउद्देशीय लड़ाकू विमानों की पहली खेप बुधवार को पांच राफेल लड़ाकू विमानों के रूप में मिली. राफेल (Rafael Fighter) के वायुसेना के बेड़े में शामिल होने से देश की वायु शक्ति को चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी सीमा विवाद और पाकिस्तान के साथ असहज संबंधों के बीच सामरिक मजबूती हासिल हुई है. निर्विवाद क्षमता रिकॉर्ड वाले राफेल लड़ाकू विमानों को दुनिया के सर्वाधिक शक्तिशाली लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है. फ्रांस से रवाना होकर पांच विमानों का यह बेड़ा बुधवार अपराह्न करीब तीन बजकर दस मिनट पर सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला वायुसेना स्टेशन पर उतरा.

राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30एमकेआई विमानों ने उनकी अगवानी की और उनके साथ उड़ान भरते हुए अंबाला तक आए. राफेल के उतरने पर उन्हें यहां पानी की बौछार से परंपरागत सलामी दी गई. गौरतलब है कि वायुसेना की परंपरा के अनुसार, किसी भी विमान की पहली और अंतिम उड़ान के समय, और वायुसेना के पायलटों तथा एटीसी अधिकारियों के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें पानी की बौछार से सलामी दी जाती है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप पहुंचने पर इनका स्वागत करते हुए कहा कि देश की रक्षा के समान न तो कोई पुण्य, न कोई व्रत और न ही कोई यज्ञ है. मोदी ने संस्कृत में ट्वीट किया, "राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च.. नभः स्पृशं दीप्तम्...स्वागतम्!" इसका अर्थ है, "राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं है, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नहीं है, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं है, नहीं हैं, नहीं है." रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, "बर्ड्स सुरक्षित उतर गए हैं."

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर किसी को भारतीय वायुसेना की नयी क्षमताओं से चिंतित होना चाहिए तो, उन्हें होना चाहिए जो ‘‘हमारी क्षेत्रीय अखंडता’’ को नकुसान पहुंचाना चाहते हैं. माना जा रहा है कि पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना के साथ संघर्ष के बाद रक्षा की मंत्री की आज की यह टिप्पणी परोक्ष रूप से चीन के लिए संदेश है.

रक्षा मंत्री द्वारा अपने ट्वीट में लड़ाकू विमानों के लिए इस्तेमाल किया गया शब्द 'बर्ड' (चिड़िया) वायुसेना के सामान्य शब्दकोश का हिस्सा है और वहां लड़ाकू विमानों को ‘बर्ड’ कहा जाता है. सिंह ने ट्वीट किया, "राफेल लड़ाकू विमानों का भारत पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास के नए अध्याय की शुरुआत है. ये बहुउद्देशीय विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि करेंगे." वायु सेना ने एक बयान में कहा, "विमानों ने फ्रांस से भारत की करीब 8,500 किलोमीटर की दूरी तय की. उड़ान के पहले चरण में 5,800 किलोमीटर की दूरी साढ़े सात घंटे में पूरी हुई. फ्रेंच एयर फोर्स के टैंकर ने उड़ान के दौरान ही ईंधन भरने की व्यवस्था की. उड़ान का दूसरा चरण करीब 2,700 किलोमीटर का था."

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राजग सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था. गौरतलब है कि इससे पहले तत्कालीन संप्रग सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहु उद्देशीय लड़ाकू विमानों के खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था.

दसाल्ट एविएशन के साथ आनन-फानन में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता में अहम सुधार के लिए किया गया था, क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं. अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं. इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जिसे‘गोल्डन एरोज’ के नाम से भी जाना जाता है.

दो सीट वाले विमान प्रशिक्षण विमान हैं तथा एक सीट वाले विमानों का इस्तेमाल युद्धक अभियानों में किया जाता है. सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि भारत को 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है, जिनमें से पांच प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रुक रहे हैं. सरकार ने कहा कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी. राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है. करीब 23 साल पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद भारत ने पहली बार लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी है.

इन विमानों को अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले अस्त्रों से लैस किया जा सकता है. राफेल लड़ाकू विमानों को जिन मुख्य अस्त्रों से लैस किया जाएगा, उनमें यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की, दृष्टि सीमा से परे लक्ष्यों पर भी हवा से हवा में वार करने में सक्षम मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और मिका हथियार प्रणाली शामिल हैं. भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है.

हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है. इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया गया और बनाया गया था. मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्याधुनिक संस्करण है और इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है.

इसे एमबीडीए ने ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के समक्ष मौजूद संयुक्त खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया है. उच्चतम न्यायालय ने 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के मामले में अदालत की निगरानी में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को दिसंबर 2018 में खारिज कर दिया और कहा था कि उसे इसमें कुछ गलत नजर नहीं आया.

हालांकि इसके बाद भी राजनीतिक दोषारोपण का दौर जारी रहा. तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में, राफेल सौदे में रिश्वत के आरोप लगाये थे और इसे चुनावी मुद्दा बनाया था. इस बीच, कांग्रेस ने बुधवार को राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के भारत आने का स्वागत किया और साथ ही इसमें देरी और इसकी कीमत के मुद्दे पर सवालों को फिर उठाया. लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से वायु सेना में शामिल करने के लिए अगस्त के मध्य में समारोह आयोजित किया जा सकता है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य पदाधिकारी इसमें भाग ले सकते हैं.

वायु सेना को पहला राफेल लड़ाकू विमान पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था. राफेल विमानों का पहला बेड़ा अंबाला वायुसेना केंद्र पर रहेगा, वहीं दूसरा बेड़ा पश्चिम बंगाल के हासिमारा बेस पर तैनात रहेगा. अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना के सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण वायुसेना स्टेशनों में से एक माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है.

अंबाला प्रशासन ने राफेल विमानों के पहुंचने से पहले अंबाला एयरबेस के आसपास निषेधाज्ञा लगा दी थी और तस्वीरें लेने तथा वीडियो बनाने पर प्रतिबंध लगाया था. एयरबेस के आसपास तीन किलोमीटर के क्षेत्र में बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था. वायुसेना ने अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत/देखभाल संबंधी अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये निवेश/खर्च किए हैं. भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं, उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षण विमान हैं. प्रशिक्षु विमानों में दो सीटें हैं और उनमें लड़ाकू विमानों के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं.

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