नयी दिल्ली, एक अगस्त राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने, फसलों की बर्बादी रोकने और देश की बढ़ती आबादी के मद्देनजर भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों ने सरकार पर कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने पर चिंता भी जताई।
आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि एक समय था जब देश में कृषि सबसे उत्तम व्यवसाय माना जाता था लेकिन आज यह बुरे दौरे से गुजर रही है। पुराने जमाने में खेती-किसानी को आधार बनाकर फिल्म और गीत-संगीत तैयार किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों को ठीक उसी तरह भूल गई है जैसे भारतीय फिल्म उद्योग उन्हें भूल गया है।
उन्होंने दिल्ली की सीमाओं सहित पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कई किसानों की मौत हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को कानूनी गारंटी मिलनी ही चाहिए। मैं इसकी पुरजोर मांग करता हूं। सरकार जल्द से जल्द इसकी घोषणा करे। किसानों को खुशी का मौका दे।’’
मित्तल ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कृषि का बजट कम कर दिया गया है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि देश में चालीस प्रतिशत कृषि उत्पाद रखरखाव की उचित व्यवस्था के अभाव के कारण बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बड़ी संख्या में किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं और और वे आत्महत्या को मजबूर होते हैं।
उन्होंने सरकार से किसानों का कर्ज माफ करने और उनका बहुमूल्य जीवन बचाने की अपील की।
बीजू जनता दल के शुभाशीष खूंटिया ने कहा कि कृषि ऐसा क्षेत्र है जो आज भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन इसके लिए जो बजट आवंटित किया गया, वह नाकाफी है।
उन्होंने ओडिशा में धान के किसानों के लिए उचित एमएसपी की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसपी को कानूनी स्वरूप दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की।
खूंटिया ने कृषि क्षेत्र में शोध पर जोर देने की वकालत करते हुए कहा कि देश की तेजी से बढ़ रही आबादी को ध्यान में रखते हुए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने पीएम फसल योजना में सुधार की आवश्यकता जताई।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न तो दिया लेकिन उनकी सिफारिशों पर अमल नहीं किया।
उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून वापस लेते समय प्रधानमंत्री ने कहा था ‘‘हमारी ही तपस्या में कोई कमी रह गई होगी।’’
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या कमी रह गई थी तथा इस बारे में गहन आत्ममंथन करने के बाद उन्हें बजट बनाना चाहिए।
इसी पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात की थी लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष हमेशा डॉ स्वामीनाथन का जिक्र करता है। उन्होंने कहा ‘‘डॉ स्वामीनाथन केरल के रहने वाले थे। उन्होंने किसानों की हालत सुधारने के लिए बहुत ही सरल शब्दों में सुझाव दिए थे। भाजपा दस साल से कहते आ रही है कि कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की। लेndi.latestly.com%2Fagency-news%2Fdiscussion-in-rajya-sabha-on-agriculture-emphasis-on-giving-legal-guarantee-to-mspr-2247973.html&link=https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fagency-news%2Fdiscussion-in-rajya-sabha-on-agriculture-emphasis-on-giving-legal-guarantee-to-mspr-2247973.html&language=hi&handle=LatestLY&utm_source=Koo&utm_campaign=Social', 650, 420);" title="Share on Koo">