ताजा खबरें | कृषि पर राज्यसभा में चर्चा : एमएसपी को कानूनी गारंटी दिए जाने पर रहा जोर

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने, फसलों की बर्बादी रोकने और देश की बढ़ती आबादी के मद्देनजर भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की।

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ताजा खबरें | कृषि पर राज्यसभा में चर्चा : एमएसपी को कानूनी गारंटी दिए जाने पर रहा जोर

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एजेंसी न्यूज Bhasha|
ताजा खबरें | कृषि पर राज्यसभा में चर्चा : एमएसपी को कानूनी गारंटी दिए जाने पर रहा जोर

नयी दिल्ली, एक अगस्त राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने, फसलों की बर्बादी रोकने और देश की बढ़ती आबादी के मद्देनजर भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों ने सरकार पर कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने पर चिंता भी जताई।

आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि एक समय था जब देश में कृषि सबसे उत्तम व्यवसाय माना जाता था लेकिन आज यह बुरे दौरे से गुजर रही है। पुराने जमाने में खेती-किसानी को आधार बनाकर फिल्म और गीत-संगीत तैयार किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों को ठीक उसी तरह भूल गई है जैसे भारतीय फिल्म उद्योग उन्हें भूल गया है।

उन्होंने दिल्ली की सीमाओं सहित पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कई किसानों की मौत हो गई।

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को कानूनी गारंटी मिलनी ही चाहिए। मैं इसकी पुरजोर मांग करता हूं। सरकार जल्द से जल्द इसकी घोषणा करे। किसानों को खुशी का मौका दे।’’

मित्तल ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कृषि का बजट कम कर दिया गया है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि देश में चालीस प्रतिशत कृषि उत्पाद रखरखाव की उचित व्यवस्था के अभाव के कारण बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बड़ी संख्या में किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं और और वे आत्महत्या को मजबूर होते हैं।

उन्होंने सरकार से किसानों का कर्ज माफ करने और उनका बहुमूल्य जीवन बचाने की अपील की।

बीजू जनता दल के शुभाशीष खूंटिया ने कहा कि कृषि ऐसा क्षेत्र है जो आज भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन इसके लिए जो बजट आवंटित किया गया, वह नाकाफी है।

उन्होंने ओडिशा में धान के किसानों के लिए उचित एमएसपी की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसपी को कानूनी स्वरूप दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की।

खूंटिया ने कृषि क्षेत्र में शोध पर जोर देने की वकालत करते हुए कहा कि देश की तेजी से बढ़ रही आबादी को ध्यान में रखते हुए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने पीएम फसल योजना में सुधार की आवश्यकता जताई।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न तो दिया लेकिन उनकी सिफारिशों पर अमल नहीं किया।

उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून वापस लेते समय प्रधानमंत्री ने कहा था ‘‘हमारी ही तपस्या में कोई कमी रह गई होगी।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या कमी रह गई थी तथा इस बारे में गहन आत्ममंथन करने के बाद उन्हें बजट बनाना चाहिए।

इसी पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात की थी लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष हमेशा डॉ स्वामीनाथन का जिक्र करता है। उन्होंने कहा ‘‘डॉ स्वामीनाथन केरल के रहने वाले थे। उन्होंने किसानों की हालत सुधारने के लिए बहुत ही सरल शब्दों में सुझाव दिए थे। भाजपा दस साल से कहते आ रही है कि कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की। लेndi.latestly.com%2Fagency-news%2Fdiscussion-in-rajya-sabha-on-agriculture-emphasis-on-giving-legal-guarantee-to-mspr-2247973.html&link=https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fagency-news%2Fdiscussion-in-rajya-sabha-on-agriculture-emphasis-on-giving-legal-guarantee-to-mspr-2247973.html&language=hi&handle=LatestLY&utm_source=Koo&utm_campaign=Social', 650, 420);" title="Share on Koo">

एजेंसी न्यूज Bhasha|
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नयी दिल्ली, एक अगस्त राज्यसभा में बृहस्पतिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देने, फसलों की बर्बादी रोकने और देश की बढ़ती आबादी के मद्देनजर भविष्य में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की मांग की।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कामकाज पर उच्च सदन में हुई चर्चा में भाग लेते हुए विभिन्न दलों ने सरकार पर कृषि क्षेत्र को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया और किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने पर चिंता भी जताई।

आम आदमी पार्टी (आप) के अशोक कुमार मित्तल ने कहा कि एक समय था जब देश में कृषि सबसे उत्तम व्यवसाय माना जाता था लेकिन आज यह बुरे दौरे से गुजर रही है। पुराने जमाने में खेती-किसानी को आधार बनाकर फिल्म और गीत-संगीत तैयार किए जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों को ठीक उसी तरह भूल गई है जैसे भारतीय फिल्म उद्योग उन्हें भूल गया है।

उन्होंने दिल्ली की सीमाओं सहित पंजाब, हरियाणा और देश के अलग-अलग हिस्सों में किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें कई किसानों की मौत हो गई।

उन्होंने कहा, ‘‘किसानों को कानूनी गारंटी मिलनी ही चाहिए। मैं इसकी पुरजोर मांग करता हूं। सरकार जल्द से जल्द इसकी घोषणा करे। किसानों को खुशी का मौका दे।’’

मित्तल ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार कृषि का बजट कम कर दिया गया है जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि देश में चालीस प्रतिशत कृषि उत्पाद रखरखाव की उचित व्यवस्था के अभाव के कारण बर्बाद हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बड़ी संख्या में किसान कर्ज के बोझ तले दबे हैं और और वे आत्महत्या को मजबूर होते हैं।

उन्होंने सरकार से किसानों का कर्ज माफ करने और उनका बहुमूल्य जीवन बचाने की अपील की।

बीजू जनता दल के शुभाशीष खूंटिया ने कहा कि कृषि ऐसा क्षेत्र है जो आज भी देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है लेकिन इसके लिए जो बजट आवंटित किया गया, वह नाकाफी है।

उन्होंने ओडिशा में धान के किसानों के लिए उचित एमएसपी की मांग का जिक्र करते हुए कहा कि एमएसपी को कानूनी स्वरूप दिए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने एम एस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की भी मांग की।

खूंटिया ने कृषि क्षेत्र में शोध पर जोर देने की वकालत करते हुए कहा कि देश की तेजी से बढ़ रही आबादी को ध्यान में रखते हुए रणनीति तैयार की जानी चाहिए। उन्होंने पीएम फसल योजना में सुधार की आवश्यकता जताई।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बिकास रंजन भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार ने प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन को भारत रत्न तो दिया लेकिन उनकी सिफारिशों पर अमल नहीं किया।

उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानून वापस लेते समय प्रधानमंत्री ने कहा था ‘‘हमारी ही तपस्या में कोई कमी रह गई होगी।’’

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या कमी रह गई थी तथा इस बारे में गहन आत्ममंथन करने के बाद उन्हें बजट बनाना चाहिए।

इसी पार्टी के जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रधानमंत्री ने किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात की थी लेकिन वह वादा पूरा नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष हमेशा डॉ स्वामीनाथन का जिक्र करता है। उन्होंने कहा ‘‘डॉ स्वामीनाथन केरल के रहने वाले थे। उन्होंने किसानों की हालत सुधारने के लिए बहुत ही सरल शब्दों में सुझाव दिए थे। भाजपा दस साल से कहते आ रही है कि कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं की। लेकिन आप बताइये कि दस साल में आपने क्या किया?’’

उन्होंने कहा ‘‘आपने तो चौधरी चरण सिंह को भी भारत रत्न से सम्मानित किया। इसलिए नहीं कि वे किसान नेता थे, बल्कि इसलिए कि जयंत चौधरी आपके गठबंधन में आ जाएं।’’

इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और सदन में कुछ देर हंगामा हुआ।

ब्रिटास ने कहा कि वित्त मंत्री प्राकृतिक खेती की बात करती हैं लेकिन केरल में तो यह सदियों से चली आ रही है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पर आरोप मढ़े बिना सरकार को एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी देना चाहिए और एमएसपी का दायरा बढ़ाकर अन्य फसलों को इसके दायरे में शामिल करना चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी ने कहा कि 2050 तक देश की आबादी 186 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। उन्होंने संभावित आबादी का हवाला देते हुए कहा कि इसी के हिसाब से कृषि रणनीति बननी चाहिए ताकि भावी पीढ़ी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने कटाई के बाद फसलों के नुकसान पर भी चिंता जताई और पर्याप्त संख्या में गोदाम और कोल्ड स्टोरेज बनाए जाने की मांग की

द्रविड़ मुनेत्र कषगम सदस्य एस षणमुगम ने कहा कि किसानों की जरूरतों से सरकार वाकिफ नहीं है और उसे किसानों से कोई लेनादेना नहीं है।

एमएसपी को कानूनी दजा दिए जाने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि चाय और काफी उत्पादक किसानों को भी एमएसपी मिलनी चाहिए।

समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने कहा कि किसानों को मौसम पर निर्भर रहना पड़ता है और अक्सर उन्हें इसकी मार भी झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों को इन आपदाओं से बचाने के लिए उपायों पर विचार करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आज भी देश में बड़ी संख्या में बंजर भूमि है। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी भूमि का कृषि योग्य बनाने पर ध्यान देना चाहिए।

उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण की दिशा में ठोस कदम उठाने की भी सरकार से गुजारिश की।

खेती में रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग पर चिंता जताते हुए यादव ने कहा कि इस वजह से कृषि योग्य भूमि के बंजर होने की आशंका है।

भूजल स्तर लगातार नीचे जाने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे रोका जाना चाहिए नहीं तो आने वाले समय में पानी के लिए तरसना पड़ सकता है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने कहा कि सरकार विकास, विकसित भारत और विश्व गुरु जैसी बातें करती है लेकिन अन्नदाताओं की हालत अच्छी नहीं है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्यों यह विषय सरकार को चिंतित नहीं कर पा रहा है?’’

किसानों की आत्महत्या के मामलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कुल आत्महत्याओं में 37 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र के होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘इसका मतलब यह है कि सरकार किसानों की समस्याओं को समाधान देने में विफल रही है। जैसे उन्हें उचित कीमत ना मिलना, कर्ज चुकाने में असमर्थ होना, आपदा में बीमाराशि का ना मिलना।’’

किसानों की विभिन्न समस्याओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस बजट में इनमें से किसी का जवाब नजर नहीं आया।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को जागना होगा, कृषि क्षेत्र को अपनी प्राथमिकता बनानी होगी।’’

ब्रजेन्द्र मनीषा

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

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