धौलपुर, 26 अप्रैल: राजस्थान के धौलपुर की एक स्थानीय अदालत ने चार लोगों की सामूहिक हत्या के 15 साल पुराने मामले में एक आरोपी को दोषी करार देते हुये बुधवार को फांसी की सजा सुनाई है. अदालत ने इसके साथ ही उस पर 10 लाख रुपये का अर्थदंड लगाया है. यह भी पढ़ें: Violence in Kaliaganj: बंगाल के कालियागंज में हिंसा के सिलसिले में 11 लोगों को हिरासत में लिया गया
विशेष न्यायाधीश (अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति निवारण प्रकरण) ने इस मामले की सुनवाई के बाद यह सजा सुनाई. विशेष लोक अभियोजक सैयद माहिर हसन रिजवी ने बताया कि 2008 में बाड़ी थाना इलाके में हुए इस सामूहिक हत्याकांड के तीन आरोपी फिलहाल न्यायिक अभिरक्षा में हैं तथा उनकी सुनवाई चल रही है.
रिजवी ने बताया कि परिवादी जयपाल सिंह ने नौ जुलाई 2008 को थाना बाड़ी में प्राथमिकी दर्ज कराई थी कि वह अपने पिता रतन लाल तथा परिवार के अन्य लोगों ताऊ नत्थीलाल, चाचा रामस्वरूप एवं भाई भंवर लाल और पप्पू के साथ सड़क निर्माण कार्य में मजदूरी कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि तभी पुरानी रंजिश के चलते वहां कीर्तिराम, सुरेश, बिरमा, चंद्रभान उर्फ अटटा, पूरन एवं भगवान समेत अन्य लोग आए तथा हथियारों से लैस इन दबंगों ने जातिसूचक गालियां देते हुए अंधाधुंध गोलीबारी कर दी.
उन्होंने बताया कि इस गोलीबारी में जयपाल के पिता रतन लाल, ताऊ नत्थीलाल, चाचा रामस्वरूप एवं रामवीर की मौत हो गयी। घटना के बाद आरोपी मौके से भाग निकले थे. उन्होंने बताया कि पुलिस ने अनुसंधान के बाद में आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया और बुधवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय विशिष्ट न्यायाधीश (अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति निवारण प्रकरण) नरेन्द्र मीणा ने कीर्ति राम गुर्जर को हत्या का दोषी मानते हुए भादंसं की धारा 302 के तहत फांसी की सजा सुनाई.
न्यायालय ने अभियुक्त कीर्तिराम को दस लाख रुपए के अर्थदंड से भी दंडित किया है. इसी मामले में तीन अन्य आरोपी सुरेश, बिरमा एवं भगवान सिंह न्यायिक अभिरक्षा में धौलपुर जिला कारागार में हैं तथा उनकी सुनवाई अभी चल रही है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)